नई दिल्ली। सुबह उठना और फिर दांत साफ करना हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। हम अपने जीवन में कई कंपनियों के टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी टूथपेस्ट के ट्यूब को ध्यान से देखा है। अगर देखा होगा तो उसके नीचे लाल, हरे और नीलें कलर का एक मार्क होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये मार्क होता क्यों है , इसके पीछे की वजह क्या है?
ज्यादातर लोग इसे इग्नोर कर देते हैं
ज्यादातर लोग तो इस बात को इग्नोर कर देते हैं। लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि ये रंग टूथपेस्ट की क्वालिटी के बारे में बताते हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी दावा किया गया है कि इस मार्क के जरिए टूथपेस्ट की क्वालिटी का पता लगाया जा सकता है। लोग मानते हैं कि ये मार्क टूथपेस्ट की ग्रेड होती है। इस मार्क के रंग से टूथपेस्ट में मिलाए गए तत्वों के बारे में पता चलता है।
लोग इस मार्क को देखकर क्या सोचते हैं
रंग के आधार पर इस मार्क को देखें तो जिन टूथपेस्ट में ब्लैक मार्क होता है, वो पूरी तरह से कैमिकल से बने होते हैं। वहीं लाल मार्क का मतलब है कि वो नैचुरल और कैमिकल दोनों से बना है। ब्लू कलर के मार्क का मतलब है कि टूथपेस्ट नैचुरल और मेडिसिन से बना है। जबकि ग्रीन का मतलब है कि वो पूरी तरह से नैचुरल तरीके से बना है। ज्यादातर लोग इस निशान को गुणवत्ता जांच का मानक मानते हैं। लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और ही है।
मार्क को लेकर क्या है सच्चाई
बतादें कि कोलगेट की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस मार्क का क्वालिटी से कोई लेना देना नहीं है। इस निशान का इस्तेमाल ट्यूब बनाते वक्त किया जाता है। यानी ट्यूब की कटिंग कहां से करनी है और उसे सील कहां से करना है, इसके लिए इस मार्क का इस्तेमाल किया जाता है। वो किसी भी रंग का क्यो न हो। इसका क्वालिटी से कोई लेना देना नहीं है।
मार्क से मशीनों का काम आसान होता है
टूथपेस्ट के ट्यूब पर निशान लगाने से फैक्ट्री में लगी मशीनों का काम आसान हो जाता है। वो कटिंग पॉइंट को पहचान लेता है। चाहे वो किसी भी रंग का मार्क क्यों न हो। मशीन का लाइट सेंसर इस निशान को पहचानता है और उसके हिसाब से ही ट्यूब बनाई जाती है।