नई दिल्ली। देश में भारतीय मुद्रा का संचालन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) करता है। चाहे वो धातुके सिक्के हो या फिर कागज के नोट, ये सभी RBI द्वारा ही जारी किए जाते हैं। अगर आपने गौर से इन नोटों को देखा होगा, तो पाएंगे कि इनपर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की घोषणा एंव हस्ताक्षर होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा नोट चलन में है जिस पर आरबीआई के गवर्नर के हस्ताक्षर नहीं होते हैं। आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, हम जिस नोट की बात कर रहे हैं, वो नोट है 1 रूपये का। 1 रूपये के नोट पर आरबीआई के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता। ऐसा क्यों होता है, यह जानने से पहले हम इस नोट का इतिहास जान लेंगे।
1 रूपये के नोट का इतिहास
भारत में 1 रूपये का नोट 30 नवंबर 1917 से शुरू हुआ। तब इस नोट पर अंग्रेजी शासन काल में भारत के सम्राट जॉर्ज पंचम की फोटो छापी जाती थी। वर्ष 1926 में 1 रूपये के नोट की छपाई बंद कर दी गई। इसके पूरे 14 साल बाद 1940 मे एक बार फिर से 1 रूपये के नोट की छपाई शुरू किया गया। हालाँकि, भारत की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1994 में एक बार फिर इसकी छपाई बंद कर दी गई थी। लेकिन स्पेशल डिमांड के बाद 2015 में एक रूपये के नोट को कुछ बदलाव के साथ फिर से शुरू कर दिया गया।
गवर्नर के हस्ताक्षर क्यों नहीं होते?
जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि 1 रुपये के नोट की छपाई पहली बार साल 1917 में शुरू हुई थी। लेकिन तब भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना नहीं हुई थी। देश में RBI की स्थापना साल 1935 में हुई। इससे साफ है कि 1 रूपये का नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नहीं किया गया था। तब इस भारत में शासन कर रहे अंग्रेजी सरकार ने जारी किया था। यही कारण है कि आज भी 1 रूपये के नोट पर भारत सरकार लिखा होता है और इस नोट पर भारत सरकार के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।