नई दिल्ली। श्राद्ध पक्ष में पितरों के लिए समर्पित होता है। Pitra Paksha 2021 लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में तर्पण करते हैं। हिन्दु धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इसे श्राद्ध भी कहा जाता है। श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पर्वक भी होता है।
पितृ पक्ष कब से आरंभ होगा
हिन्दू पंचांग के श्राद्ध भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की
Shradh 2021 पूर्णिमा तिथि से आरंभ होता है। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 20 सितंबर यानि सोमवार से हो रही है और समापन बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को 6 अक्टूबर को होगा।
ताकि पितृ ग्रहण कर सकें तपृण
ऐसी मान्यता है कि मृत्युलोक के देवता यमराज पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं। ताकि वे तर्पण ग्रहण कर सकें। इसके महत्व का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है।
ऐसे पता करें कि आपको तो नहीं पितृदोष
कुंडली में पितृ दोष होने से व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जब कभी जीवन में समस्याएं आती हैं तो ज्योतिषाचार्य कुंडली में सबसे पहले पितृदोष देखते हैं। जिसके अनुसार पितृ दोष को अशुभ फल देने वाला दोष माना गया है। जिनकी कुंडली में यह दोष होता है। उनके हर कार्य में बाधा आती है। मान—सम्मान बढ़ता नहीं है। जीवन भरी की जमा पूंजी नष्ट हो जाती है। विभिन्न बीमारियां भी घेरने लगती हैं।
क्या है श्राद्ध का महत्व
पितरों का तर्पण न होने से उन्हें मुक्ति नहीं मिलती इसलिए उनकी मुक्ति के लिए तर्पण करना जरूरी होता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण का कार्य पितरों की शांति के लिए किया जाता है। तर्पण कर पितरों का आशीर्वाद लेने से जीवन में आने परेशानियों से दूर हो जाती हैंं।
पहला श्राद्ध कब है?
हिन्दु पंचांग के अनुसार 20 सितंबर को इस वर्ष का पहला श्राद्ध है। सोमवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि से इसकी शुरूआत है। नियम और अनुशासन का पालन करके ही इसका लाभ लिया जा सकता है।