नई दिल्ली। आपने ऐसी मछलियों Guppy Fish के बारे में तो कई बार सुना होगा कि वे एक—दूसरे को खा जाती हैं। लेकिन क्या कभी ऐसी मछली के बारे में सुना है जो केवल मच्छरों को खाती हैं।
जी हां इनका भोजन मात्र डेंगू और मलेरिया के मच्छर ही हैं। ये मछलियां आकार में काफी छोटी होती हैं। इन्हें गंबूसिया मछी के नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग
बारिश में डेंगू और मलेरिया से बचने के लिए इन्हें पाल रहे हैं लोग
बारिश का मौसम शुरू हो चुका है ऐसे में इन मछलियों को घरों में पानी टंकियों में डालकर डेंगू और मलेरिया से बचा जा सकता है। इसका उपयोग मच्छरों को नष्ट करने के लिए ही किया जाता है। ये दूसरी मछलियों की तुलना में नाले के पानी में भी जीवित रह लेती हैं।
मच्छर जनित बीमारियों को नियंत्रित करने में करती हैं मदद
मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण करने के लिए मलेरिया विभाग लार्वा खाने वाली इन गंबूसिया मछलियों का सहारा ले रहा है।
गंबूसिया की ये है खासियत
– इनका मुख्य भोजन मच्छरों का लार्वा है।
– यह मछली अंडे नहीं बल्कि बच्चे देती है।
– इनकी लंबाई तीन इंच तक होती है।
– इसे किसी भी प्रकार के तालाब, गड्ढे, नाली या गटर में डाल सकते हैं, जो मच्छर
के लार्वा को खा जाती है।
– स्थानीय भाषा में इसे गटर गप्पी कहते हैं।
– इस मछली के बच्चे दो मिमी के होने पर भी मच्छरों के लार्वा को खाने लगते हैं।
– ये 16 से 28 दिनों के अंतर से बच्चे देती है।
— यह मछली 14 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री तक बहुत ही आराम से रह जाती है।
– गप्पी का बच्चा हो या बड़ी मछली ये अपने कुल भार का 40 फीसदी लार्वा 12 घंटे
में खा सकती है।
– इसकी पहचान ब्रिटिश नाविक जेम्स कुक ने की थी। जिनका जन्म इग्लैंड में 7
नवंबर 1728 को हुआ था।
– कुक युवा काल में रॉयल ब्रिटिश नेवी में नौकरी की। अधिकतर जगहों पर मच्छरों का प्रकोप कम करने के लिए इन्होंने गप्पी मछली का उपयोग किया था।