नई दिल्ली। अगर आप शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं तो आप डीमैट अकाउंट के बारे में जरूर जानते होंगे। अगर आप नहीं भी करते हैं तो आज हम आपको इस अकाउंट के बारे में सारी बातें बताएंगे। उससे पहले डीमैट अकाउंट इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए जरूरी सूचना, आपको 31 जुलाई यानि शनिवार तक अपना KYC डिटेल अपडेट कर लेना चाहिए नहीं तो आपका अकाउंट डिएक्टिवेट हो सकता है। ऐसे में आप शेयरों की खरीद-फरोख्त नहीं कर पाएंगे।
क्या है डीमैट अकाउंट?
बता दें कि, SEBI के दिशा-निर्देश के अनुसार डीमैट अकाउंट को छोड़कर किसी अन्य रूप में शेयरों को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता है। यानी जो लोग शेयर बाजार से स्टॉक खरीदते या बेचते हैं उनके लिए डीमैट खाता होना अनिवार्य है।
कैसे काम करता है डीमैट अकाउंट?
दरअसल, जब आप शेयर खरीदते हैं तब ब्रोकर डीमैट खाते के साथ उसमें शेयर को क्रेडिट कर देता है और यह आपके होल्डिंग के विवरण में दिखने लगता है। वहीं अगर आप इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्म से व्यापार करते हैं, तो आप अपनी होल्डिंग्स को ऑनलाइन देख सकते हैं। विशेष रूप से ब्रोकर शेयरों को T+2 पर क्रैडिट कर देता है, जो कि ट्रेडिंग डे + 2 दिन बाद होता है।
वहीं जब आपको अपने शेयर बेचने होते हैं, तो आपको अपने ब्रोकर को डिलेवरी निर्देश देने होते हैं, जिसमें आपको बिके हुए स्टॉक में विवरण भरना होता है। इसके बाद आपके खाते में शेयर डेबिट हो जाता है और आप बिके हुए शेयरों के लिए पैसे का भुगतान करते हैं। वहीं अगर आप इंटनेट से भुगतान करते हैं तो आपके खाते में शेयरों का डेबिट और राशि का क्रेडिट अपने आप ही दिखने लगता है।
डीमैट खाता से लाभ
डीमैट खाता जब आप खोलते हैं तो आपको भौतिक रूप से शेयर रखने में कोई परेशानी नहीं आती है। आप आसानी से शेयर को खरीद और बेच सकते हैं। साथ ही हस्तांतरण पर कोई स्टांप ड्यूटी नहीं लगती है। साथ ही आज कल आप IPO के बारे में सुन रहे होंगे। IPO का मतलब है ‘इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग’ अगर आप अपने शेयर को IPO में लागु करना चाहते हैं तो भी आपके पास डीमैट खाता होना जरूरी है।