मुंबई। महाराष्ट्र के महाबलेश्वर और सतारा जिले के नवाजा में पिछले दो दिनों में हुई अत्यधिक भारी बारिश से राज्य के निकटवर्ती तटीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों में, खासकर रत्नागिरि और रायगढ़ जिलों में बाढ़ आ गई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस तबाही में अब तक अलग-अलग हिस्सों में 36 लोगों की मौत हो गई। कोंकण क्षेत्र के इन दो जिलों में कई स्थान पानी में डूबे हुए हैं और प्रशासन वहां फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए कदम उठा रहा है। पुणे में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक के एस होसलिकर ने कहा कि सतारा में लोकप्रिय पर्वतीय क्षेत्र महाबलेश्वर में 22 जुलाई को सुबह साढ़े आठ बजे से 23 जुलाई को देर रात एक बजे तक, करीब 17 घंटों में 483 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। इससे पहले 22 जुलाई को समाप्त हो रहे 24 घंटे की अवधि में, इसी मौसम केंद्र ने वहां 461 मिलीमीटर बारिश दर्ज की थी। मौसम विभाग के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 204.4 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश को अत्यधिक भारी बारिश माना गया है। हालांकि, महाबलेश्वर और नवाजा में राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों द्वारा दर्ज आंकड़े दिखाते हैं कि बारिश इससे कहीं ज्यादा थी। भौगोलिक दृष्टि से, महाबलेश्वर सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला (पश्चिमी घाट) के शीर्ष बिंदुओं में से एक है जो महाराष्ट्र को तटीय क्षेत्र और पठार के बीच विभाजित करता है।
सतारा में भी झमाझम
इसी प्रकार की भारी वर्षा सतारा जिले में महाराष्ट्र के प्रमुख पन-बिजली संयंत्र कोयना पर स्थापित मौसम केंद्र, नवाजा में भी दर्ज की गई। अधिकारियों ने बताया कि रत्नागिरि जिले में चिपलुन नवाजा के पश्चिम में है जहां इसी अवधि में 300 मिमी से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, महाबलेश्वर और महाद (रायगढ़ जिले में) के साथ ही नवाजा और चिपलुन में हवाई दूरी ज्यादा नहीं है इसलिए इन शीर्ष बिंदुओं पर भारी बारिश से पानी इन कस्बों की तरफ बहकर आ रहा है। रायगढ़ जिला कलेक्ट्रेट से एक अधिकारी ने बताया कि महाद तहसील में, पोलादपुर में 22 जुलाई से 23 जुलाई के बीच 305 मिमी बारिश हुई। अगर शुक्रवार को भी बारिश जारी रहती है तो अधिकारियों के लिए तलाश एवं बचाव अभियान चलाना बहुत मुश्किल होगा। रत्नागिरि जिलाधिकारी बी एन पाटिल ने कहा कि यह चिपलुन में पिछले 40 वर्षों में हुई सबसे बुरी बारिश है।