नई दिल्ली। हम जब भी किसी को फोन मिलाते हैं तो उससे पहले नंबर का वेरिफिकेशन करते हैं और जांचते हैं कि नंबर 10 अंकों का है या नहीं? लेकिन कभी आपने ये सोचा है कि आखिर मोबाइल नंबर 10 अंकों का ही क्यों होता है और इसके पीछ का कारण क्या है? ज्यादातर लोगों को इस बारे में नहीं पता होगा।
इस कारण से 10 अंकों का होता है मोबाइल नंबर
दरअसल, भारत में 10 अंकों का मोबाइल नंबर होने के पीछे सरकार की राष्ट्रीय नंबरिंग योजना यानी एनएनपी है। इसके अलावा दूसरा सबसे बड़ा कारण है भारत की जनसंख्या। आप भी सोच रहे होंगे कि ये कैसे हो सकता है। मान लिजिए कि देश में सिर्फ एक अंक का मोबाइल नंबर होता, तो जीरो से लकेर नौ तक यानी 10 नंबर ही अलग-अलग तरह से बनाए जा सकते थे। साथ ही उन 10 नंबरों का इस्तेमाल भी सिर्फ 10 लोग ही कर पाते। वहीं अगर 2 अंकों का होता तो 100 लोग उस नंबर को यूज कर पाते।
ये भी एक कारण है
जबकि वर्तमान में देश की आबाद 130 करोड़ है। अगर नौ नंबर का भी मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया जाता तो भविष्य में सभी लोगों को नंबर अलॉट नहीं किया जा सकता था। वहीं जब 10 अंकों का मोबाइल नंबर बनता है तो कैल्कुलेशन के हिसाब से एक हजार करोड़ अलग-अलग नंबर बनाए जा सकते हैं। यही कारण है भविष्य में नंबरों की बढ़ती मांग को देखते हुए 10 अंकों का मोबाइल नंबर कर दिया गया।
अब लैंडलाइन से 11 नंबर डायल करने होते हैं
आपको बता दें कि, साल 2003 तक देश में नौ नंबर के ही मोबाइल नंबर होते थे लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए ट्राई ने इसे बढ़ा कर 10 अंकों का कर दिया। वहीं 15 जनवरी 2021 से भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने लैंडलाइन से फोन लगाने पर नंबर के आगे शून्य लगाने का निर्देश दिया है। डायल करने के तरीके में इस बदलाव से दूरसंचार कंपनियों को मोबाइल सेवाओं के लिए 254.4 करोड़ अतिरिक्त नंबर तैयार करने की सुविधा मिलेगी।