नई दिल्ली। जब आप गूगल पर सर्च करेंगे कि दुनिया का सबसे बड़ा हैकर कौन है तो आपको टॉप-10 में जो एक नाम दिखेगा वो नाम होगा ‘केविन मिटनिक’ का। केविन को हैकिंग की दुनिया में सबसे शातिर हैकर माना जाता है। उसका जन्म 6 अगस्त 1963 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुआ था। उसे बचपन से ही हैकिंग का शौक था।
12 साल की उम्र से ही बसों में फ्री सफर करने लगा था
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उसने 12 साल की उम्र से ही सोशल इंजीनियरिंग के जरिए लॉस एंजेलिस की बसों में फ्री सफर करना शुरू कर दिया था। 80 के दशक में केविन ने दुनिया के कई बड़ी कंपनियों के सीक्रेट्स हैक कर लिए थे और 90 के दशक तक तो उसे अमेरिका ने ‘मोस्ट वांटेड साइबर क्रिमिनल’ के लिस्ट में शामिल कर दिया था।
आज सरकारें उसे करोड़ो रूपया देती हैं
उसने 90 के दशक में नोकिया, आईबीएम, मोटोरोला जैसी कई बड़ी कंपनियों के सर्वर को हैक कर लिया था। ये था केविन का पहला पक्ष जिसे लोग जानकर उससे घृणा करने लगते हैं। लेकिन उसका दूसरा पक्ष ये है कि आज के समय में केविन को कई देशों की सरकारें हर महीने ‘साइबर हैकिंग’ से बचने के लिए करोड़ों रूपये देती हैं। इतना ही नहीं गूगल, अमेजन, याहू जैसी कई बड़ी कंपनियां भी साइबर हैकिंग से बचने के लिए केविन को हर महीने करोड़ो रूपये देती है।
पेंटागन की साइट को भी नहीं छोड़ा था
केविन ने अमेरिका के डिफेंस ऑर्गनाइजेशन ‘Pentagon’ की साइट को भी नहीं छोड़ा था। उसे अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एलर्ट प्रोग्राम में सेंध लगाने और कॉरपोरेट सीक्रेट्स को चुराने के आरोप में 3 साल की सजा भी हुई थी। इसके अलावा उसे एक बार और ढाई साल के लिए साइबर क्राइम के जुर्म में जेल भेजा गया था। कुल मिलाकर कहें तो गैर-कानूनी हैकिंग के कारण केविन मिटनिक कई बार जेल जा चुका है और 6 साल जेल की सजा काट चुका है।
2000 में अपने आप को बदलने का फैसला किया
केविन इतना शातिर था कि एक बार जेले से भी भाग चुका था। इसकी जिंदगी पर हॉलीवुड में दो फिल्में भी बन चुकी हैं। हालांकि साल 2000 में उसने खुद को बदलने का फैसला किया और आज वो एक सफल आईटी कंसल्टेंट बन चुका है। केविन मिटनिक आज के समय में पब्लिक स्पीकर और सक्सेसफुल राइटर है। केविन आज दुनियाभर के 500 से ज्यादा कंपनियों को आईटी संबंधित सुरक्षा परामर्श प्रदान करता है। इतना ही नहीं जिस अमेरिका ने कभी केविन को मोस्ट वांटेड साइबर क्रिमिनल घोषित किया था। उसे आज अमेरिकन गवर्नमेंट हर साल साइबर सिक्योरिटी के लिए अरबों रूपये देती है।