धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में बीते सोमवार को कांगड़ा जिले में बादल फट (cloudbursts) गए। यहां बादल फटने के बाद भीषण बाढ़ आई। इस बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है। यहां बाढ़ के पानी में कई कारें और मकान बह गए। यहां तबाही मचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) यहां लगातार नजर रखे हुए हैं। यहां भारी बाढ़ (heavy flash floods) के बाद नदियां उफान पर हैं। भारी बारिश के बाद यहां पूरे छेत्र में पांच दिनों का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इतना ही नहीं यहां मौसम विभाग ने अगले 5 दिनों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
21वीं सदी में हिमाचल और उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं काफी सामान्य हो गईं हैं। साल 1997 से लेकर अब तक हिमाचल और उत्तराखंड राज्य में करीब 14 बार इस तरह की बड़ी घटनाएं घट चुकी हैं। साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में हुई भारी तबाही की खबरें आज भी लोगों में दहशत बैठाए हुए हैं। पिछले करीब 20 सालों में दोनों राज्यों में 6 हजार से ज्यादा लोग बादल फटने की घटनाओं के कारण काल के गाल में समा चुके हैं। इन दोनों राज्यों में करीब हर साल इस तरह की घटनाएं देखने को मिलती हैं। इन दोनों राज्यों के साथ बादल फटने की धटनाएं देश के अन्य राज्यों में भी देखी जा चुकी हैं। इनमें से जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र भी शामिल हैं।
क्या होता है बादल फटने की मतलब?
दरअसल विज्ञान (Advertisment) के इतने विकास से पहले यह माना जाता है कि बादल गुब्बारों (Sky Ballons) की तरह होते हैं जिनमें पानी भरा रहता है। इन गुब्बारों से धीरे-धीरे पानी गिरता है। लेकिन जब एक सीमित समय में और सीमित क्षेत्र में भारी बारिश होती है तो माना जाता था कि बादल फट गए हैं। हालांकि बाद में यह थ्योरी गलत साबित हुई है। इसके बाद भी इन फ्रेज का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल किसी रहवासी वाले सघन क्षेत्र में बेहद कम समय में भारी बारिश होने के बाद यहां जमकर तबाही मचती है। इसी को बादल फटना कहा जाता है।
दरअसल जब नम हवाएं निम्न दबाव वाले क्षेत्र से उच्च दबाव वाले क्षेत्र में जाती हैं तो बादलों आद्रता बढ़ जाती है। इस कारण बादल एक विशेष क्षेत्र में ही पिघल जाते हैं। ऐसे में बेहद कम समय में एक क्षेत्र विशेष में भारी बारिश होती है। जो लोगों के लिए काल बनकर आती है। बादलों का फटना अक्सर तेज हवाओं के कारण होता है। दरअसल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से तेज हवाओं के साथ भारी पानी वाष्पीकृत होता है। यह बादलों का रूप लेकर तेज हवाओं के साथ ऊपरी क्षेत्र में चले जाते हैं। जब इन बादलों से गर्म हवाएं टकरातीं हैं तो भारी बारिश होती है। भारत में बादल फटने से एक घंटे में 75 मिमी तक बारिश हो सकती है।
बादलों का फटना इतना खतरनाक क्यों है?
बादलों का फटना बेहद खतरनाक हो सकता है। भारी बारिश (Heavy Rainfall) के साथ इसमें जमीन खिसकने की भी घटनाएं देखने को मिलती हैं। बादलों के फटने के कुछ ही घंटे बाद नदियां अपने खतरे के निशान को पार कर लेती हैं। बादलों के फटने के बाद भारी बारिश रास्तों को चीर देती है। इससे निकला पानी अपने साथ जमीन के टुकड़े समेत इमारतों को जड़ से बहा ले जाता है। साथ ही इसमें भूस्खलन भी देखने को मिलता है।
इस भीषण पानी के रास्ते में जो भी आता है वह इसके बहाव के सामने घुटने टेक देता है। उत्तराखंड के केदारनाथ में साल 2013 में बादल फटने के बाद मची तबाही आज भी देश भूला नहीं है। यहां साल 2013 में केदारनाथ में बादल फटे थे। यहां भारी बारिश के बाद मंदाकिनी नदी ने विकराल रूप ले लिया था। इस हादसे में यहां से करीब 6 हजार लोग लापता हो गए थे।