नई दिल्ली। क्रिकेट की दुनिया में महानतम बल्लेबाजों में शुमार सुनील गावस्कर आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। गावस्कर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में उस वक्त डेब्यू किया था जब भारत को उतनी मजबूत टीम नहीं समझा जाता था। लेकिन गावस्कर ने अपने डेब्यू टेस्ट में ही विपक्षी गेंदबाजों में खौफ का माहौल पैदा कर दिया था। उन्होंने इंटरनेशल क्रिकेट में अपना डेब्यू वेस्ट इंडीज के खिलाफ 6 मार्च, 1971 को क्वीन्स पार्क ओवल में किया था। उस वक्त वेस्ट इंडीज टीम दुनिया में सबसे बेहतरीन टीम मानी जाती थी।
आज तक किसी ने रिकॉर्ड नहीं तोड़ा
लेकिन, कैरेबियाई धरती पर इस खिलाड़ी ने अपने पहली ही सीरीज में इतने रन बना डाले कि आज भी यह रिकॉर्ड है। वेस्टइंडीज जैसी टीम को उसके घर में भारत ने पहली बार मात दी थी और पहली बार सीरीज पर कब्जा भी जमाया था। दुनियाभर में ‘लिटिल मास्टर’ के नाम से मशहुर पांच फुट पांच इंच के इस खिलाड़ी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ उस सीरीज में 4 टेस्ट मैचों में रिकॉर्ड 774 रन बनाए थे। जिसमें 1 दोहरा शतक, 4 शतक और तीन अर्धशतक शामिल है। जो आज भी किसी पांच टेस्ट मैचों के सीरीज में डेब्यू करते हुए सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड है।
गावस्कर के कान पर एक निशान था
सुनील गावस्कर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘सनी डेज’ में जिंदगी से जुड़े एक दिलचस्प किस्से को बयां करते हुए बताया था कि अगर उनके जिंदगी में तेज नजर वाले चाचा नारायण मासुरकर नहीं होते। तो वे आज क्रिकेटर नहीं होते। दरअसल, जब उनका जन्म हुआ था तब नारायण मासुरकर उन्हें देखने अस्पताल आए थे। यहां उन्होंने सुनील के कान पर एक निशान देखा था। अगले दिन जब वे फिर से अस्पताल आए और एक बच्चे को गावस्कर समझकर गोद में उठाया, तो मासुरकर ने देखा कि इस बार सुनील के कान के पास बर्थमार्क नहीं है। उन्होंने इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन को दिया।
मछुआरे की पत्नी के पास मिले
इसके बाद अस्पताल में नौनिहाल सुनील गावस्कर की तलाश शुरू हो गई, जिसके बाद वो एक मछुआरे की पत्नी के पास सोते हुए मिले। शायद नर्स की गलती के वजह से ऐसा हुआ था। इस वाक्ये का जिक्र करते हुए सुनील गावस्कर ने ‘सनी डेज’ में लिखा कि अगर उस दिन चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता, तो शायद मैं आज मछुआरा होता।