नई दिल्ली। (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ट्विटर को आठ जुलाई तक यह बताने का निर्देश दिया कि नए आईटी नियमों के अनुपालन में वह स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति कब तक करेगा। ट्विटर ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि उसके द्वारा स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि अदालत को यह सूचित नहीं किया गया था कि स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी (आरजीओ) की इससे पहले नियुक्ति केवल अंतरिम आधार पर थी जो इस्तीफा दे चुके हैं। अदालत ने कहा कि ट्विटर ने अंतरिम आरजीओ को नियुक्त किया था और 31 मई को अदालत को इस बारे में भ्रम में रखा , उसे यह नहीं बताया कि अधिकारी की नियुक्ति अंतरिम आधार पर की गई है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि उन्होंने 21 जून को इस्तीफा दे दिया तो ट्विटर कम से कम इतना तो कर ही सकता था कि इन 15 दिन में किसी अन्य अधिकारी को नियुक्त करता, जब आप जानते थे कि इस मामले पर छह जुलाई को सुनवाई होनी है।
Delhi HC expresses displeasure over Twitter delaying the appointment of grievance redressal officer; Justice Rekha Palli asks, "How long does your (Twitter's) process take? If Twitter thinks it can take as long as it wants in our country, I'll not allow that." pic.twitter.com/vPnYYK1fFT
— ANI (@ANI) July 6, 2021
आपको इस प्रक्रिया में कितना वक्त लगेगा? अगर ट्विटर को ऐसा लगता है कि मेरे देश में वह जितना समय चाहे ले सकता है, तो मैं इसकी इजाजत नहीं दूंगी।’’ ट्विटर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सजन पूव्या ने कहा कि ट्विटर में अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। यह सच है कि अभी कोई मुख्य शिकायत निवारण अधिकारी, आरजीओ और नोडल संपर्क अधिकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि अदालत ने कहा, हां इस वक्त ट्विटर ने नियमों का पालन नहीं किया है। लेकिन अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। जब एक मध्यस्थ नियमों का पालन नहीं करता तो वह सुरक्षित शरण संरक्षण खो देता है। निश्चित ही ट्विटर को नियमों का पालन करना चाहिए और वह करेगा भी। कृपया समुचित समय दें।’’
ट्विटर के खिलाफ एक्शन के लिए सरकार को फ्री हैंड
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि नियम 25 फरवरी को अधिसूचित किए गए थे और मध्यवर्ती संस्थाओं को इनका पालन करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया था, यह समयसीमा 25 मई को समाप्त हो गई। उन्होंने कहा, ‘‘व्यवसाय करने के लिए भारत में उनका स्वागत है लेकिन यह रवैया देश की डिजिटल संप्रभुता के लिए अहितकर है।’’ इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैंने पहले ही उन्हें बता दिया है कि उन्हें नियमों का पालन करना होगा। मैं उन्हें कोई संरक्षण नहीं दे रही। अगर वे अनुपालन नहीं करते तो आप कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं। मैं पहले ही स्पष्ट कर चुकी हूं कि अगर वे काम करना चाहते हैं तो उन्हें नियमों का पालन करना होगा।