नई दिल्ली। हर व्यक्ति चाहता है कि अपनी बचत को ऐसी जगह निवेश करें कि वो पैसे सिक्योर रहने के साथ ही जल्द से जल्द डबल भी हो जाए। लोग इसके लिए अलग अलग तरीके भी अपनाते हैं। खासकर एफडी, आरडी, एलआईसी, शेयर, म्यूचुअल फंड आदि शामिल है। लेकिन कई लोग पैसा सिक्योर करने और बाजार के जोखिम का कोई असर ना पड़े तो वो RD या FD का सहारा लेते हैं। हालांकि कई लोग आरडी और एफडी में निवेश को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। आइए आज हम आपको एफडी और आरडी से जुड़े सभी फैक्ट बताते हैं और दोनों की तुलना करते हैं, जिसके बाद आप खुद समझ जाएंगे कि एफडी और आरडी में क्या अंतर है।
क्या होता है अहम अंतर?
एफडी में एक साथ पैसा जमा करवाया जाता है जबकि आरडी में किश्तों में पैसे जमा करवाए जाते हैं। अगर आपके पास एक मुश्त पैसा है तो एफडी निवेश कर सकते हैं, जबकि आरडी उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास पैसा जमा नहीं है। आरडी में नौकरीपेशा लोग निवेश कर सकते हैं, क्योंकि इसमें एक साथ पैसे जमा नहीं करवाने होते हैं। इसके अलावा एफडी टेन्योर 7 दिनों से लेकर 10 साल तक का हो सकता है जबकि आरडी में 6 माह से 10 साल तक पैसे निवेश किए जा सकते हैं।
ब्याज के मामले में कौन है आगे?
अगर औसत निकालें तो एफडी के मेच्योर होने पर आरडी से ज्यादा ब्याज मिलता है। आरडी में ब्याज तिमाही या मासिक आधार पर मिलता है, जबकि एफडी में मेच्योर होने पर ब्याज मिलता है। एफडी में एक बार पैसे जमा कराने होते हैं और उसके बाद कोई सिरदर्दी नहीं होती है, लेकिन आरडी में लगातार पैसे देने पड़ते हैं। वैसे दोनों डिपॉजिट में आप जरूरत पड़ने पर लोन ले सकते हैं।
किश्त ना देने पर होती है मुश्किल
एफडी में आपको एक ही बार पैसा देना होता है, लेकिन आरडी में ऐसा नहीं है। एफडी में एक बार पैसा देकर आप संतुष्ट हो जाते हैं और इस वजह से बैंक आप पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। लेकिन, आरडी में एक अंतराल में पैसे देने होते हैं, जिस वजह से अगर आप किश्त नहीं दे पाते हैं तो बैंक आपका अकाउंट बंद भी कर सकता है। इससे आपको काफी मुश्किल हो सकती है।