जबलपुर। ब्लैक फंगस के उपचार में काम आने वाली दवा एम्फोटेरेसिन-बी के इंजेक्शन का उत्पादन प्रदेश के जबलपुर जिले में शुरू हो गया है। सीएम शिवराज सिंह ने सोमवार को इस इंजेक्शन की वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लॉन्च किया है। अब जबलुपर में ही इस इंजेक्शन का उत्पादन होने के कारण प्रदेश में इसकी कमी नहीं होगी। साथ ही इसकी कीमत भी दूसरी कंपनियों की तुलना में कम होगी। उमरिया-डुंगरिया स्थित रेवाक्योर लाइफसाइंसेज कंपनी इस इंजेक्शन का उत्पादन कर रही है। सोमवार से इसका उत्पादन शुरू हो चुका है। सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्चुअल तरीके से इंजेक्शन को लांच किया है।
कंपनी के को-फाउंडर रवि सक्सेना, डॉक्टर रवि सक्सेना और पार्टनर नीटी भारद्वाज ने मीडिया को बताया कि ब्लैक फंगस की दवा एम्फोटेरेसिन-बी का इमलशन फॉर्मेट में इंजेक्शन तैयार किया है। कंपनी का ये खुद का प्रोडक्ट है। रॉ-मटेरियल से लेकर उत्पादन का काम कंपनी ने खुद तैयार किया है। एक वायल इंजेक्शन 50 एमजी (10 एमएल) का होगा। इसकी कीमत तीन हजार के लगभग बताई जा रही है। मई में ही इस कंपनी को इस इंजेक्शन बनाने का लाइसेंस मिला था।
अब यहां ब्लैक फंगस के इस इंजेक्शन का उत्पादन शुरू हो चुका है। बता दें कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के समय काफी दवाइयों की किल्लतें देखनी पड़ीं थी। वहीं कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भी लगातार चेतावनी जारी की जा रही है। ब्लैक फंगस के मरीज भी लगातार सामने आ रहे हैं। अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन्स का उत्पादन भी प्रदेश में किया जा रहा है।
यह गर्व का पल है कि जीवन की रक्षा के जो इंजेक्शन हम बाहर से मंगवाते थे, अब मध्यप्रदेश में ही बनेंगे। ज़रूरत पड़ी तो देश व विदेश में भी इसकी आपूर्ति होगी।
जबलपुर में ब्लैक फंगस की दवा 'एम्फोरेवा-B' के उत्पादन का वी.सी. के माध्यम से शुभारंभ किया। #COVID19 https://t.co/3wgAnU7KKc https://t.co/g7YPkSVrV8 pic.twitter.com/yr4Gw2wq8h
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 28, 2021
अब तक जबलपुर में ही आए 200 से ज्यादा मरीज
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि जबलपुर में ही इस इंजेक्शन के उत्पादन से प्रदेश में काफी सुविधा रहेगी। साथ ही प्रदेशवासियों को सस्ती कीमतों पर यह इंजेक्शन मिल सकेगा। लोगों को वाजिब कीमत पर इंजेक्शन उपलब्ध रहेगा। कंपनी इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों और थोक दवा दुकानों पर सप्लाई करेगी। बता दें कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज में फंगस के 200 से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं। अब भी कई मरीजों का इलाज जारी है। इस बीमारी के इलाज में सबसे बड़ी बाधा इंजेक्शन की कमी थी। हालांकि अब माना जा रहा है कि प्रदेश में उत्पादन के बाद से पर्याप्त मात्रा में यह इंजेक्शन उपलब्ध रहेगा।