ऋषिकेश। (भाषा) कोरोना की तीसरी लहर के संभावित खतरे को देखते हुए ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बच्चों के उपचार के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए संस्थान के नर्सिंग स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण देने के साथ ही कोरोना संक्रमित बच्चों के लिए 100 बिस्तर का अतिरिक्त कोविड वार्ड बनाने की योजना पर भी कार्य शुरू कर दिया गया है। एम्स ऋषिकेश के निदेशक रविकांत ने कहा, ‘‘चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दौरान अन्य लोगों की अपेक्षा बच्चों में संक्रमण के ज्यादा खतरे की आशंका के मद्देनजर हम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।
55 चिकित्सक और 65 नर्सों की रहेगी टीम
इलाज पूर्व तैयारियों को लेकर अस्पताल में विभिन्न योजनाएं बनाई गई हैं जिनमें बच्चों के उपचार के लिए आवश्यक बिस्तरों की संख्या, चिकित्सा उपकरण और श्रमशक्ति पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। एम्स प्रशासन द्वारा बच्चों में संक्रमण फैलने की स्थिति में उनके इलाज के लिए 100 बिस्तर अलग से रखे जाएंगे जिनमें ऑक्सीजन युक्त 50 बिस्तर और आईसीयू सुविधा वाले 50 बिस्तर शामिल हैं। इन बिस्तरों के लिए वेन्टिलेटर, मॉनिटर आदि आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था कर ली गई है। डीन (अस्पताल मामले) यूबी मिश्रा ने बताया कि संस्थान में बच्चों के उपचार के लिए 55 प्रशिक्षित रेजिडेंट चिकित्सक और 50 नर्सिंग स्टाफ की टीम उपलब्ध है।
बच्चों के लिए होगी 150 बेड की सुविधा
अलावा एक महीने से कम उम्र के गंभीर स्थिति वाले नवजात बच्चों के इलाज के लिए एनआईसीयू के 15 प्रशिक्षित नर्सिंग अधिकारी भी टीम में शामिल हैं। मिश्रा ने बताया कि एम्स की शिशु गहन देखभाल इकाई (पीआईसीयू) में 30 और एनआईसीयू में 25 बिस्तर की सुविधा स्थायी तौर पर पहले से ही है जबकि 100 बिस्तरों का एक अतिरिक्त वार्ड भी योजना में रखा गया है। इस प्रकार बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की स्थिति में एम्स में एक समय में 155 बच्चों का उपचार संभव हो सकेगा।