लखनऊ। कोरोना के कहर के कम होने के बाद ही उप्र में सियासी हलचल शुरू हो चुकी है। यहां अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर यहां राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। उप्र में भाजपा संगठन में भी काफी हलचल देखने को मिल रही है। इसी सब के बीच खबरें हैं कि उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच संबंधों के बिगड़ने की चर्चाएं भी चल रही हैं। वहीं खबरें आ रहीं थी कि योगी आदित्यनाथ की पावर को प्रदेश में कम करने के लिए उप्र का विभाजन किया जा रहा है।
अटकलों में कहा जा रहा था कि मोदी उप्र का विभाजन कर योगी की पावर को कम करना चाहते हैं। इसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के ट्विटर हैंडल @InfoUPFactCheck ने एक यूट्यूब चैनल की खबर शेयर की है जिसमें दावा किया गया है, “योगी का कद कम करने के लिए यूपी विभाजित होगा। इस खबर के बाद ” @InfoUPFactCheck ने बताया, “उत्तर प्रदेश के विभाजन को लेकर जताई जा रही आशंका निराधार है। सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरों का प्रसार करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई होगी। उप्र सरकार की तरफ से इस तरह की अटकलों को सिरे से खारिज किया है।
#FakeAlert: उत्तर प्रदेश के बंटवारे की खबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल है।#InfoUPFactCheck: उत्तर प्रदेश के विभाजन को लेकर जताई जा रही आशंका निराधार है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भ्रामक खबरों का प्रसार करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। pic.twitter.com/in7Fyotj3L
— Info Uttar Pradesh Fact Check (@InfoUPFactCheck) June 12, 2021
विभाजन की लग रही थी अटकलें…
बता दें कि बीते दिनों से लगातार सीएम योगी और केंद्रीय नेतृत्व के बीच अनबन की खबरें आ रही थीं। इन खबरों के बाद योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली का दौरा भी किया है। विधानसभा चुनावों को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रधानमंत्री मोदी चुनावों से पहले उप्र के पूर्वी क्षेत्र को अलग करना चाहते हैं। जानकारी के मुताबिक लोगों का मानना था कि पीएम मोदी उप्र के सीएम योगी के बढ़ते कद को घटाना चाहते हैं। इसी को लेकर वह राज्य का बंटवारा करना चाहते हैं।
माना जा रहा था कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरप्रदेश के पूर्वी हिस्से को अलग करके योगी का कद कम करने पर विचार कर रहे हैं। माना जा रहा था कि इसके लिए तैयारी की जा चुकी है। साथ ही कहा जा रहा था कि मोदी ने विश्वस्त पूर्व नौकरशाह अरविंद शर्मा को उत्तरप्रदेश भेजा था। शर्मा के बाद से यहां इस तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी थीं। हालांकि संगठन की तरफ से इस तरह की खबरों को पूरी तरह निराधार बताया गया है।