इंदौर। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर लगातार हड़ताल कर रहे हैं। जबलपुर हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी जूनियर डॉक्टर्स (जूडा) ने अपनी हड़ताल खत्म नहीं की है। कोर्ट के आदेश के 50 घंटे बाद भी जूडा काम पर नहीं लौटे हैं। शनिवार को जूडा ने कॉलेज की बिल्डिंग के गेट पर खून से सना एप्रिन टांगकर प्रदर्शन किया। जूडा का कहना है कि कोरोना के इस भयानक काल में डॉक्टर्स अपनी जान पर खेलकर सेवा कर रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स को हॉस्टल खाली करने के नोटिस दिए जा रहे हैं। जूडा ने शनिवार को भी कॉलेज के हॉस्टल के बाहर प्रदर्शन किया। राजधानी में 28 जूडा को नोटिस भी दिया गया था।
इसके बाद भी जूडा हटने के लिए तैयार नहीं है। इससे पहले जबलपुर हाईकोर्ट ने जूडा की हड़ताल पर सख्ती दिखाते हुए हड़ताल 24 घंटे में खत्म करने के आदेश दिए थे। अब 50 घंटों बाद भी जूडा हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं। वहीं जूडा की हड़ताल को लेकर सरकार भी लगातार चेतावनी दे रही है। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया है। वहीं जूडा हड़ताल के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में एक्टिविस्ट डॉ. एमए खान ने याचिका दायर की है। एमए खान ने कहा कि जूडा न्यायालय के आदेश की अवमानना कर रहे हैं। इसको लेकर उनके खिलाफ मामला चलाना चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार ने भी इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है।
हाईकोर्ट ने काम पर लौटने के दिए थे निर्देश…
बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट भी मामले पर सुनवाई कर चुका है। प्रदेश में अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर्स (जूडा) को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई थी। हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए इस हड़ताल को असंवैधानिक बताया था। साथ ही हड़ताल को तत्काल प्रभाव से खत्म करने के आदेश भी दिए थे।
जूडा की हड़ताल को लेकर गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि कोरोना महामारी के इस प्रचंड दौर में जब डॉक्टर्स की सबसे ज्यादा जरूरत है तब हड़ताल करना उचित नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि 24 घंटे के भीतर अगर जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। हालांकि 50 घंटे बाद भी जूडा काम पर नहीं लौटे हैं।