शिवपुरी। मैं आपको कहूं कि आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ पढ़ों तो क्या आप पढ़ पाएंगे। जाहिर सी बात है आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। हालांकि आपने जादूगर को जरूर देखा होगा कि वे आंखों पर पट्टी बांधकर अपना काम कर लेते हैं। शिवपुरी के न्यू ब्लॉक में भी एक ऐसी ही छात्रा है, जो आंखों पर पट्टी बांधकर पेपर पढ़ लेती है। हाथों से शब्दों को टटोलकर ऐसे पढ़ती है, जैसे उसे सब कुछ दिख रहा हो। इस कला में पारंगत होने के लिए वैष्णवी ने तीन महीने की ट्रेनिंग ली है। इतना ही नहीं अगर वो एक बार किसी चीज को छूकर उसकी गंध ले ले, तो फिर उसे कही भी क्यों न छूपाकर रख दिया जाए, उसे सूंघ कर ढूंढ ही लेती है।
इस कला को क्या कहा जाता है?
दरअसल, वैष्णवी जिस कला को जानती है उसे ‘मिड ब्रेन एक्टिविटी’ कहा जाता है। बच्चों के लिए ये शिक्षा काफी काम की है। इस कला को जानने वाले बच्चे एक बार अगर किसी चीज को याद कर लें तो फिर उसे कभी नहीं भूलते हैं। शिवपुरी की रहने वाली वैष्णवी कक्षा 8वीं की छात्रा है। उसके पिता लोकेंद्र शर्मा मेडिकल स्टोर चलाते हैं, वहीं उसकी मां आरती शर्मा हाउस वाइफ के साथ मिड ब्रेन एक्टिविटी की ट्रेनर हैं। वो शिवपुरी में इस कला की ट्रेनिंग देती हैं। हालांकि, वैष्णवी ने मिड ब्रेन एक्टिविटी की ट्रेनिंग चार साल पहले अपने मामा प्रभात शर्मा से ली थी।
वैष्णवी इस कला में माहिर है
वैष्णवी आज इस कला में इतनी माहिर हो गई है कि वो बिना रूके और बिना गलती किए आंखों पर पट्टी बांधकर अखबार पढ़ लेती है। उसका कहना है कि जिस तरह श्वान किसी भी चीज की गंध लेने के बाद उसे ढूंढ लेता है, ठीक उसी तरह मिड ब्रेन एक्टिविटी की ट्रेनिंग लेने के बाद बच्चा बिना देखे सब कुछ पढ़ सकता है।
15 क्लासेस से होती है इसकी शुरूआत
आपको बता दें कि मिड ब्रेन एक्टिविटी की शुरूआत 15 क्लासेस से होती हैं। पहेल तीन दिन 6 घंटे की क्लास, उसके बाद 3-3 घंटे की क्लास होती हैं। इस कला को सीखने वाले बच्चे पहले दिन से ही बिना देखे कलर आदि के बारे में बताने लगते हैं। उसके बाद बिना देखे किसी ड्राइंग को देखकर ड्राइंग बनाना, राइटिंग करना, रीडिंग करना सीख जाते हैं। इसकी शुरूआत कुछ प्रिंटेड कार्ड से होती और फिर जब ट्रेनिंग पूरी हो जाती तो बच्चे बिना देखे पढ़ना सीख जाते हैं।