नई दिल्ली। चुनाव हारने के बाद कई पार्टियां EVM पर सवाल खड़े करने लगती हैं। लेकिन अब ईवीएम को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। ANI से बात करते हुए चुनाव आयोग के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों में ईवीएम और वीवीपैट के बीच 100 प्रतिशत का मिलान हुआ है। यानी EVM में जिस पार्टी को वोट दिए गए थे। वीवीपैट में भी उसी पार्टी को वोट मिले हैं।
आयोग ने की थी EVM-VVPAT की जांच
मालूम हो कि चार राज्यों- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और एक केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में इस साल की शुरूआत में चुनाव हुए थे। ऐसे में चुनाव आयोग ने EVM की विश्वसनीयता को जांचने के लिए VVPAT और EVM के वोटों का मिलान किया था। इस जांच में दोनों मशीनों के वोट 100 प्रतिशत सही पाए गए। जो इसकी सटीकता और प्रामाणिकता को दर्शाता है।
भारतीय निर्वान आयोग ने EVM को किया है विकसित
आपको बतादें कि EVM को भारत के चुनाव आयोग ने साल 1989 में विकसित किया था। इसके बाद साल 2019 के आम चुनाव में व्यापक तौर पर VVPAT का उपयोग किया गया। हालांकि, इससे पहले 2014 के भी आम चुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन सिर्फ आठ निर्वाचन क्षेत्रों में ही इसे ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। वहीं हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में 1492 जगह पर, तमिलनाडु में 1183 जगह पर, केरलमें 728 जगह पर असम में 647 जगह पर और पुदुचेरी में 156 जगहों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया गया था।
SC ने चुनाव आयोग से वोटों की गिनती करने को कहा था
मालूम हो कि अप्रैल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि चुनाव आयोग 2019 के आम चुनाव में प्रत्येक संसदीय क्षेत्र मे से पांच ईवीएम में लगे वीवीपैट की पर्चियों को मैन्युअल तरीके से गणना करे। शीर्ष न्यायालय ने ये आदेश 21 विपक्षी दलों द्वारा EVM के खिलाफ एक याचिका दायर करने के बाद दिया था। वहीं 2021 के विधानसभा चुनावों में, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर ईवीएम की गिनती के साथ VVPAT की पर्चियों को मिलान करने के लिए कहा था। जिसके बाद आयोग ने अपने मिलान में EVM के वोट और VVPAT के वोट को 100 प्रतिशत सही पाया।