नई दिल्ली। कोरोना और ब्लैक फंगस के बाद अब बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन, यानी MIS-C नामक बीमारी कहर ढा रही है। इस बीमारी के चपेट में वैसे बच्चे आ रहे हैं जो पहले कोरोना के मरीज रह चुके हैं या जिनके घर में लोग संक्रमित हुए थे। हालांकि अच्छी बात ये है कि इलाज करवाने के बाद MIS-C से पीड़ित बच्चे ठीक भी हो जा रहे हैं। पंजाब के जालंधर में अब तक 350 बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं।
यह एक नई बीमारी है
डॉक्टर गुरदेव चौधरी इस बीमारी को लेकर कहते हैं कि MIS-C बच्चों में कोरोना पॉजिटिव आने के छह से आठ सप्ताह बाद होता है। यह एक नई बीमारी है, इसलिए इसके बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है। हालांकि इस बीमारी से इलाज के बाद बच्चे ठीक भी हो जा रहे हैं। यदि किसी कारण से एमआईएस-सी से पीड़ित बच्चे का इलाज नहीं हो पाता है, तो करीब 1 प्रतिशत बच्चों में मृत्यु दर का अनुमान है।
ज्यादातर बच्चों में नहीं दिखते कोरोना के लक्षण
इस बीमारी पर यूएस सेंटर फार डसीसिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन और दी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ की टीमें काम कर रही हैं। जानकारों के मुताबिक ज्यादातर बच्चों में कोरोना होने पर लक्षण नहीं दिखते। इस वजह से उनके शरीर में एंटी-बॉडीज ज्यादा हो जाती हैं और उनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर असर पड़ने लगता है। कई बच्चों में दौरे पड़ने, हार्ड व किडनी से संबंधित समस्याएं आने लगती हैं।
क्या है MIS-C?
MIS-C यानी मल्टीसिस्टम इंफेलेमेटरी सिड्रोंम बच्चों में एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन आ जाती है। ये सूजन दिल, फेफडे, किडनी, मस्तिष्क, त्वचा, आंखे या आंतें शामिल हैं। इस बीमारी में तीन दिनों से अधिक समय तक तेज बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त, गर्दन में चकत्ते होना, आंखों में लाली, पैरों की त्वचा में सूजन, थकान महसूस होना, नाखून का रंग पीला या नीला पड़ जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
बचाव का क्या है तरीका?
इस बीमारी से सबसे अच्छा बचाव का तरीका है कि बच्चों को कोरोना से बचाएं। घर से बाहर निकलने पर उन्हें मास्क, शारीरिक दूरी और नियमित रूप से हाथ धोने का प्रशिक्षण दें। इसके अलावा बच्चों को पार्टियों, समारोहों या शादियों से दूर ही रखें।