भोपाल। अगर हम आपसे कहें कि पिछले 99 सालों में किसी गांव की आबादी नहीं बढ़ी है तो आप कहेंगे कि ऐसा नहीं हो सकता। आपको यह बात पहेली लगेगी। लेकिन यह हकीकत है। मध्यप्रेदश के बैतूल जिले का धनोरा एक ऐसा गांव है, जहां की जनसंख्या वर्ष 1922 में 1700 थी और आज भी इतनी ही है। इस गांव में किसी भी परिवार में दो से ज्यादा बच्चे नहीं है।
कस्तूरबा गांधी ने ग्रामीणों को दिया था जीवन मंत्र
इस गांव में कोई भेदभाव नहीं है बच्चे दो ही हैं चाहे वो लड़का हो या लड़की। दुनिया के लिए यह गांव परिवार नियोजन के क्षेत्र में ब्रांड एंबेसडर है। क्योंकि यहां पिछले 99 सालों से जनसंख्या जस की तस है। जानकार बताते हैं कि सन् 1922 में यहां कांग्रेस का एक सम्मेलन हुआ था। जिसमें शामिल होने कस्तूरबा गांधी आई थीं। उन्होंने ग्रामीणों को खुशहाल जीवन के लिए ‘छोटा परिवार, सुखी परिवार’ का नारा दिया था। ग्रामीणों ने कस्तूरबा गांधी की बातों को गुरु ने मंत्र बना लिया और तभी से धनोरा गांव में परिवार नियोजन का सिलसिला शुरू हो गया।
बेटों की चाहत में लोग जनसंख्या नहीं बढ़ाते
गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि कस्तूरबा गांधी का संदेश यहां के लोगों के दिल-दिमाग में बस गया। 1922 से ही गांव में हर परिवार में एक या दो बच्चों पर परिवार नयोजन करा दिया जाता है। गांव के लोगों ने बेटों की चाहत में परिवार बढ़ने की कुरीति को भी खत्म कर दिया और एक या दो बेटियों के जन्म के बाद भी परिवार नियोजन को वे जरूरी समझते हैं।
लोगों को परिवार नियोजन के लिए बाध्य नहीं किया जाता
परिवार नियोजन के मामले में यह गांव पूरे प्रदेश में एख मॉडल बन गया है। बेटा हो या बेटी, दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन अपनाए जाने से यहां लिंगानुपात भी बाकी जगहों से काफी बेहतर है। धनोरा के आसपास के गांवों में, जिनकी जनसंख्या 50 साल पहले जितनी थी, उसके मुकाबले अब चार से पांच गुना बढ़ चुकी है, लेकिन धनोरा में अब भी जनसंख्या 1700 बनी हुई है। गांव के लोगों को परिवार नियोजन करने के लिए बाध्य भी नहीं किया जाता। लेकिन गांव में इतनी जागरूकता है कि दो बच्चों के बाद लोग अपने आप परिवार नियोजन करवा लेते हैं।