नई दिल्ली। दुनिया में कोरोना महामारी के बीच अब एक और खतरनाक बीमारी का खतरा बढ़ने लगा है। अफ्रीकी देश कॉन्गो में ब्यूबोनिक प्लेग के 15 मामले समाने आए हैं। इनमें से 11 लोगों की मौत भी हो चुकी है। बता दें कि इस बीमारी को काली मौत या ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है। ब्यूबोनिग प्लेग कोरोना से भी ज्यादा संक्रामक है और तेजी से लोगों की जान लेता है। यह बीमारी चूहों के जरिए इंसानों में फैलती है।
खून की उल्टी और फिर मौत
ब्रिटिश वेबसाइट ‘द सन’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्गो के इतुरी प्रांत में ब्यूबोनिक प्लेग के कई मामले सामने आए हैं। इसके कारण 23 अप्रैल से 8 मई के बीच 11 मौतें हो चुकी हैं। मरने वाले ज्यादातर लोगों को पहले खून की उल्टी आई और फिर उनकी मौत हो गई। इतूरी के प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर डॉ. लुईस शुलो का कहना है कि इस बीमारी में मरीजों के सिर में दर्द, बुखार, खांसी और खून की उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
अंतिम संस्कार से लौटने के बाद दो लोगों की मौत
कॉन्गो में अब तक ब्यूबोनिक प्लेग के 15 मामले आ चुके हैं, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है। इस बीमारी से पहली मौत फताकी में एक महिला की हुई थी। उसके बाद इस इलाके में 4 और लोगों की मौत हुई। उसके बाद दो लोग जो अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे, वो जब लौटे तो पहले बीमार हुए और फिर उनकी जान चली गई। डॉ लुईस शुलो ने बताया कि 19 मई को चार लोगों की मौत हुई थी। इनमें दो बुकाशेले और दो बुले में हुई थी। अभी चार लोगों का इलाज चल रहा है।
सात दिन के अंदर आते हैं इसके लक्षण
लुईस ने लोगों से मास्क पहनने, दूरी बनाए रखने और शवों से बचकर रहने की अपील की है। मालूम हो कि इतुरी में पिछले साल भी ब्यूबोनिक प्लेग के 461 मामले सामने आए थे। जिनमें से 31 लोगों की मौत हो गई थी। WHO ने ब्यूबोनिक प्लेग में दिखने वाले लक्षण को फ्लू जैसे लक्षण बताया है। क्योंकि इसमें भी एक से सात दिन के भीतर लक्षण सामने आते हैं। ब्यूबोनिक प्लेग में डेथ रेट 30 से 60 फीसदी तक रहती है।
इसी वजह से इसे ब्लैक डेथ कहा जाता है
गौरतलब है कि बुबोनिक प्लेग कोई नई प्लेग नहीं है। यह प्लेग सबसे पहले सैकड़ो साल पहले यूरोप में फैली थी। तब इस बीमारी से करोड़ों लोगों की मौत हुई थी। इस कारण से ब्यूबोनिक प्लेग को काली मौत या ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है।