इंदौर। प्रदेश समेत पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई है। कोरोना के बाद ब्लैक फंगस भी तेजी से फैलता दिख रहा है। अब कोरोना को हरा चुके लोग फाइब्रोसिस (फेफड़ों में सिकुड़न) की शिकायत की चपेट में आ रहे हैं। कोरोना को हराने वाले करीब 40 प्रतिशत इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि इस बीमारी से लोग ठीक हो जाते हैं। लोगों को करीब डेढ़ महीने का समय लगता है। इसके बाद इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है। ज्यादातर कोरोना मरीज घर पर ही इलाज करा रहे हैं।
वहीं जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें अस्पताल में रहकर ही इसका इलाज दिया जा रहा है। इस बीमारी में देखा गया है कि कोरोना को हराने के बाद लोगों के फेफड़ों में सिकुड़न आ रही है। करीब 40 प्रतिशत लोग इसके चपेट में आ रहे हैं। हालांकि करीब डेढ़ महीने में फेफड़े पूरी तरह ठीक हो रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स ने बताया कि कोरोना का नया स्ट्रेन पहले से ज्यादा घातक है। यह फेफड़ों को पहले से ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है।
यह हैं लक्षण…
कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों की खांसी कुछ ही दिनों में खत्म हो जाती है। वहीं कोरोना के बाद लंबे समय तक खांसी बने रहना इस बीमारी का लक्षण है। इसकी चपेट में आने के बाद खांसी बंद नहीं होती और फेफड़ों में दर्द बना रहता है। सांस को भीतर खींचने में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही पसलियों के आस-पास भी काफी दर्द बना रहता है। वहीं कोरोना को हराने के बाद भी करीब एक महीने तक कफ की समस्या पीछा नहीं छोड़ती।
बचाव के तरीके…
कोरोना से ठीक होने के बाद भी अगर खांसी आ रही है तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें। बार-बार खांसने से फेफड़ों में जर्क लगता है। इसके साथ ही पेट के बल लेटने से भी फायदा मिल सकता है। दरअसल फेफड़ों का मुख्य भाग पीछे होता है। पेट के बल सोने से सांस लेने में कोई तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ेगा। समय-समय पर ऑक्सीन चेक करते रहें और तनाव लेने से बचें। इसके साथ ही भाप लेने से भी फेफड़ों का काफी मिलता है। श्वास संबंधी योग भी इसको दूर करने में कारगर हैं।