भोपाल। कोरोना के कहर से हर Information related to Corona तरफ हाहाकार मची हुई है। ऐसे में घर में अगर सबसे अधिक किसी की चिंता हो रही है तो वो हैं बच्चे। जी हां कोरोना का ये नया स्ट्रेन बुजुर्गों और बच्चों को Know how to keep children safe सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। तो आइए हम चिकित्सकों की सलाह से जानने की कोशिश करते है। कि इसके कारण क्या हैं। बच्चों को ऐसे समय में कैसे सुरक्षित रखा जाए।
ऐसे फैल रहा बच्चों में कोरोना
इस समय बच्चों को बहुत ही कम घर से बाहर निकलने दिया जा रहा है। ऐसे में यही संभावना अधिक होती है कि ये इन्फेक्शन बड़ो से बच्चों में ज्यादा फैल रहा है। इस समय जरूरी है कि यदि घर में किसी भी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण हैं तो वह सबसे पहले स्वयं को आइसोलेट कर ले। ऐसी स्थिति में बच्चों को इन्फेक्शन का खतरा कम होगा।
बच्चों में क्या हैं कोरोना के लक्षण
– 99 डिग्री फेरेनहाइट से अधिक बुखार आना।
– सर्दी या खांसी होना।
– शरीर पर चिकत्ते या दाने आना।
– उल्टी-दस्त होना।
सीधे बच्चे की नहीं करानी हैं जांच
शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर शिव दुबे के अनुसार अगर घर में किसी को कोरोना के लक्षण हैं और उसके बाद बच्चे को सर्दी खासी हैं तो सबसे पहले घर में कोरोना के लक्षण वाले व्यक्ति की जांच करानी है। सीधे बच्चे की जांच नहीं करानी है। बच्चे को आइसोलेट करने की जरूरत भी नहीं है। हम ये मानके चलते हैं। बड़े को इन्फेकशन हुआ है उससे बच्चे ने इन्फेकशन ले लिया है। बच्चे को मां से अलग करने की जरूरत नहीं है। अगर मां में संक्रमा के लक्षण हैं या केवल बच्चे में लक्षण हैं। जो 6 माह से छोटे हैं। उन्हें मां हाथों को अच्छे से सेनेटाइज करके और मास्क लगाकर फीड करा सकती है।
क्या है खतरे की घंटी
इस समय सर्दी और खांसी तक तो बात ठीक है। इसके बाद हमें सबसे अधिक ध्यान रखने की जरूरत है जिसे हम खतरे की घंटी कह सकते हैं। इसमें अगर बच्चे को सर्दी या निमोनिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। जैसे बच्चे की सांस चलने की रफतार क्या है। यानि की सांस फूलना। सांस खीचते समय पेट और सीने के बीच में गड्डे पड़ना। बच्चे का दूध न पीना। बच्चे का आक्सीजन सेचुरेशन यदि 94 से कम आ रहा है तो ये खतरे के लक्षण है। ऐसी स्थिति में बच्चों में घरेलू उपचार करने की अपेक्षा तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए। सबसे बड़ी बात बच्चों का टीकाकरण समय पर जरूर करवाएं। निमोनिया से बचाने वाले कुछ वेक्सीन लगवाए जाते हैं जिन्हें समय अनुसार लगवाएं।
क्या है उपचार
शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर शिव दुबे के अनुसार 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए कोरोना की कोई स्पेशल दवाई नहीं है। यहां बच्चे को उसके लक्षण के आधार पर दवाई देनी है। अगर बच्चे को सर्दी है तो सर्दी की दवाई दें। अगर बुखार है तो बुखार की दवाई दें। अगर घर के किसी सदस्य में कोरोना के लक्षण आए हैं और उसके बाद बच्चे को सर्दी, खांसी या बुखार आया है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।