नई दिल्ली। देश में कोरोना के दूसरे लहर ने कोहराम मचाया हुआ है। कई प्रदेशों में सरकारों ने लॉकडाउन घोषित कर दिया है और कई राज्य आगे करने की तैयारी में है। ऐसे में लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई और स्कूलों पर पड़ता है। स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन क्लालेस शुरू हुई तो इसके साथ ही फीस का विवाद भी खड़ा हो गया और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। अब सर्वोच्च अदालत मे इस मामले पर अपना अंतिम फैसला सुना दिया है।
लॉकडाउन के दौरान स्कूल पूरी फीस नहीं वसूल सकता
sc ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल पूरी फीस नहीं वसूल सकता। इस फैसले को जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने सुनाते हुए कहा कि निजी स्कूल राज्य कानून के तहत निर्धारित वार्षिक फीस ही वसूल सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 की वार्षिक फीस में 15 प्रतिशत की कटौती करनी होगी। क्योंकि बच्चें इस साल स्कूल नहीं गए। इस कारण से उन्हें जो सुविधाएं स्कूल जाने पर मिलती वो नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश राजस्थान के 36,000 गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के मामले में जारी किया है।
फीस नहीं चुकाने पर ऑनलाइन क्लास करने से नहीं रोक सकते
साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि यदि कोई अभिभावक फीस नहीं चुका पाते हैं तो उनके बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस से वंचित नहीं रखा जा सकता है। स्कूलों को ऐसे बच्चों की परीक्षा लेना होगी और परिणाम भी जारी करना होगा।
अभिभावक पूरी स्कूल फीस पर छूट की मांग कर रहे थे
हालांकि अगर हम इस पूरे मामले को देखें तो इस फैसले से अभिभावकों को झटका लगा है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि स्कूल 60 से 70 फीसदी फीस ही वसूल कर सकते हैं। यानी जितनी ट्युशन फीस है। इसके बाद अभिभावकों ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और पूरी स्कूल फीस पर छूट की मांग की थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है।