भोपाल। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और 6 बार सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद खण्डवा लोकसभा सीट खाली हो गई है। यानी अब इस सीट पर उपचुनाव होंगे। लेकिन सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि इस सीट पर 1980 के बाद पहली बार उपचुनाव कराया जाएगा। आयोग के नियम के अनुसार ये चुनाव 6 महीने के अंदर कराया जाएगा। ऐसे में खण्डवा लोकसभा सीट की क्या कहानी है ये जानना जरूरी है।
खंडवा लोकसभा सीट का गणित
दरअसल, खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल है। इन 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा, 4 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी का कब्जा है। 1980 के बाद यहां पहली बार उपचुनाव कराए जाएंगे। इससे पहले 1979 में यहां उपचुनाव कराया गया था। जिसमें जनता पार्टी के कुशाभाऊ ठाकरे ने कांग्रेस के एस.एन ठाकुर को हराया था। कुशाभाऊ बाद में बीजेपी के अध्यक्ष भी बने थे।
क्या है इस सीट का इतिहास
इस सीट से सबसे ज्यादा बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान जीतने वाले सांसद हैं। यहां की जनता ने उन्हें 6 बार चुनकर संसद तक पहुंचाया था। खंडवा लोकसभा सीट पर सबसे पहला चुनाव साल 1962 में हुआ था। जिसमें कांग्रेस के महेश दत्ता ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने कब्जा जमाए रखा। लेकिन साल 1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कांग्रेस को हरा दिया। 1980 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और शिवकुमार सिंह सांसद बनें। आगला चुनाव भी कांग्रेस ने ही जीता। पहली बार इस सीट पर 1989 में बीजेपी ने जीत हासिल की। हालांकि बीजेपी ज्यादा दिनों तक यहां टिक नहीं पाई और साल 1991 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया।
1996 में बीजेपी ने मारी बाजी
बीजेपी के लिए इस सीट पर सबसे ज्यादा रोचक मोड रहा साल 1996। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने नंदकुमार सिंह चौहान को मैदान में उतारा, चौहान ने बीजेपी की झोली में ये सीट लाकर डाल दी। इसके बाद वे अगला 3 चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे। लेकिन 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अरूण यादव ने हरा दिया। सबको लगा अब नंदकुमार चौहान की नैया डूब जाएगी। लेकिन तभी साल 2014 में मोदी लहर पर सवार होकर नंदू भैया खंडवा लोकसभा सीट से सांसद बन गए और साल 2019 में भी इस सीट को अपने कब्जे में रखा। हालांकि अब उनके निधन के बाद यह सीट खाली है। 6 महीने के अंदर यहां उपचुनाव कराया जाएगा। कांग्रेस के तरफ से लगभग तय है कि अरूण यादव उम्मीदवार होंगे। क्योकि वे पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं। भाजपा की तरफ से देखने वाली बात होगी कि नंदकुमार सिंह चौहान के जाने के बाद किसे उम्मीदवार बनाया जाता है।