भोपाल। भाजपा के कद्दावर नेता और खंडवा लोकसभा सीट से सांसद नंदकुमार सिंह चौहान का हाल ही में निधन हो गया था। चौहान के निधन के बाद से खंडवा की लोकसभा सीट खाली हो गई है। दमोह विधानसभा सीट पर उपचुनावों की घोषणा के बाद अब खंडवा लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव की चर्चाएं तेज हो गईं हैं। यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी गई है। नंदकुममार के बाद से यहां भाजपा के लिए एक मजबूत उम्मीदवार उतारना एक चुनौती मानी जा रही है।
इस सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और भाजपा की तरफ से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को अहम दावेदार माना जा रहा है। ऐसे में दोनों उम्मीदवारों के बीच उपचुनावी मुकाबला हो सकता है। इस सीट पर आने वाले दो महीने में उपचुनाव हो सकते हैं। बता दें कि कांग्रेस के केवल अरुण यादव ही इकलौते नेता हैं जो इस क्षेत्र में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं भाजपा के सामने मजबूत प्रत्याशी के तौर पर अर्चना चिटनिस के अलावा कोई विकल्प सामने नहीं आ रहा है। वहीं अरुण यादव ने उपचुनाव के लिए तैयारियां भी शुरू कर दीं हैं। वह क्षेत्र में जाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। हालांकि पार्टी की तरफ से अभी तक किसी भी नाम की घोषणा नहीं की गई है।
इसलिए अरुण हैं प्रबल दावेदार…
दरअसल अरुण यादव को निमाड़ क्षेत्र का कद्दावर नेता माना जाता है। खंडवा लोकसभा सीट को नंदकुमार सिंह चौहान ने छह में से पांच बार चुनाव जीतकर भाजपा का गढ़ बना दिया है। हालांकि नंदकुमार सिंह चौहान को अरुण यादव एक बार चुनाव में मात दे चुके हैं। अरुण यादव कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं। वह दो बार सांसद के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। अरुण प्रदेश कांग्रेस की कमान भी संभाल चुके हैं। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें नंदकुमार सिंह चौहान के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था।
दूसरी वजह यह भी है कि अरुण को इस क्षेत्र में प्रभाव विरासत में मिला है। अरुण के पिता सुभाष यादव भी इस इलाके में अत्यधिक प्रभावी नेता माने जाते थे। सुभाष प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के पद पर भी रह चुके थे। इतना ही नहीं एक समय वह मुख्यमंत्री पद के भी प्रबल दावेदार माने जाने लगे थे। अब कांग्रेस में अरुण को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नेता नजर नहीं आ रहा है। वहीं अरुण के लिए भी लोकसभा में जाने का अच्छा मौका है। यही वजह है कि अरुण यादव ने क्षेत्र में अपनी सक्रियता तेज कर दी है।
भाजपा में चिटनिस की मजबूत दावेदारी
वहीं भाजपा में बात करें तो दो प्रत्याशियों की दावेदारी चर्चा में बनी हुई है। एक नाम है स्व. चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह और दूसरा नाम पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस का है। इन दोनों में पार्टी के अंदरूनी समीकरणों की बात करें तो चिटनिस की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है। वहीं हर्षवर्धन की राजनीति में रुचि कम दिख रही है। दरअसल नंदकुमार सिंह को पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व अध्यक्ष राकेश सिंह का विरोधी भी माना जाता रहा है। वहीं अर्चना चिटनिस से भी नंदकुमार सिंह की कभी पटरी नहीं बैठी है।
वहीं यह भी कहा जाता है कि बीते विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह शेरा की जीत की वजह भी नंदकुमार सिंह ही रहे हैं। उनकी वजह से ही अर्चना चिटनिस को 2018 का विधानसभा चुनाव हारने पर मजबूर होना पड़ा। अब अर्चना को इस सीट के लिए अहम दावेदार माना जा रहा है। इसका दूसरा कारण पार्टी के अंदरूनी समीकरणों का उनके पक्ष में होना भी है। वहीं भाजपा की ओर से खंडवा के पूर्व मेयर सुभाष कोठारी और अशोक पालीवाल का भी नाम चर्चा में है। वहीं अब देखना होगा कि चुनावों में पार्टी किस प्रत्याशी के ऊपर भरोसा जताती है।