सागर। बुंदेलखण्ड के प्राचीन शिव मंदिरों मेें MP Damoh Bandakpur Mandir एक नाम बांधकपुर शिव मंदिर का भी है। Bandakpur Mandir Damoh जानकारी के अनुसार यह मंदिर मराठाकाल में बाजीराव पेशवा के आधिपत्य में आया था। किवदंती कि mp news यहां पर विराजमान शिवजी savan 2022 की पिंडी का आकार शनै: शनै: राई के बराबर बढ़ता है। यह की प्रतिमा भी स्वयं भू—प्रकट है। दमोह से लगभग 17 किमी दूर यह मंदिर बीना—कटनी जंगशन के पास स्थित है। कई संत भी यहां आ चुके हैं। अभिनेता आशुतोष राणा aashutosh rana ने यहीं से शादी की थी।
मराठा काल में बना है मंदिर
1742 में मराठा दीवान द्वारा महादेव शिव मंदिर का निर्माण कराया गया। वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र दुबे के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मराठा काल के दीवान बालाजी बल्लार कहीं जा रहे थे तब उनके घोड़ा अपनी टाप बार—बार कुरेदने लगा। फलस्वरूप वहां मंदिर का निर्माण प्रारंभ किया गया। मंदिर कमेटी द्वारा सन् 1844 में मां पार्वती के मंदिर की स्थापना की गई।
सवालाख कांवड़िया चढ़ने पर झुक जाते हैं झंड़े
मंदिर में विभिन्न स्थानों से कावड़िये आते हैं। ऐसी लोक मान्यता है कि यदि मंदिर में सवा लाख कावड़िए चढ़ जाते हैं तो भगवान शिव और माता पार्वती के शिखर पर लगे झंडे झुक जाते हैं। स्थानीय लोगों द्वारा ऐसा दावा किया गया है कि यह दृश्य उनके द्वारा स्वयं देखा गया है।
सांसद आदर्श ग्राम में किया गया शामिल
सांसद प्रह्लाद पटेल द्वारा मदिर में जीर्णोंद्धार का कार्य कराया जाता रहा है। साथ ही इसे सांसद आदर्श ग्राम में शामिल किया गया है। करीब 500 वर्गफीट में बने इस मंदिर में पहले केवल शिव—पार्वती का मंदिर था। अब इसमें बावड़ी, पार्क, गेस्ट हाउस आदि का निर्माण कराया गया।
उल्टा हाथ लगाने की है मान्यता
हर मंदिर में मन्न्त पूरी करने की अपनी—अपनी मान्यताएं हैं। बांधकपुर मंदिर में हल्दी से उल्टा हाथ लगाने की परंपरा है। जब मन्नत पूरी हो जाती है सीधा हाथ लगा दिया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।