भोपाल। एक तरफ लड़की का जीवन दाव पर था तो दूसरी ओर उसके परिवार की महिलाएं ही उसका जीवन दाव पर लगा रही थीं। वो पल मेरे लिए सबसे अधिक चुनौतीपूर्णं था। गाड़ी के सामने लड़की के परिवार की सभी महिलाएं लेट गईं। समझ नहीं आ रहा था क्या करूं। बड़ी मुश्किल से घरवालोंं को समझाने पर मामला शांत हुआ।
ये वाक्या तब हुआ जब मैं एक बाल विवाह रोकने के लिए दूल्हे को अपने साथ थाने ले जा रही थी। यह आप बीती बता रही हैं सागर की women police officer jyoti tiwari महिला अधिकारी ज्योति तिवारी। जी हां आज महिला दिवस पर हम आपको ऐसी जांबाज महिला अधिकारी से रूबरू करा रहें हैं जो पिछले दो वर्षों से महिला बाल विवाह रोकने में सतत प्रयासरत है। ज्योति वर्तमान में विशेष किशोर पुलिस इकाई जिला सागर में कार्यरत है। इस दौरान कई बार उन पर राजनीतिक दबाव भी बनाए गए पर वे अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटीं।
15 घंटे में निपटाए 19 केस
ज्योति बताती हैं पिछले साल लॉक डाउन के दौरान उन्होंने 89 बाल विवाह रोके। इस दौरान एक बार ये हुआ कि लगातार 15 घंटे के दौरान 19 बाल विवाह रोके थे। पिछले दो साल में वे 310 केस निपटा चुकी हैं। उन्हें सबसे ज्यादा समस्या मालथौन के केस में आई। लड़की नाबालिक होते हुए भी शादी की जिद पर अड़ी थी। बारात को रोका तो करीब ड़ेढ हजार लोग बंदूकें तान कर खड़े हो गए थे। उन्होंने हिम्म्त नहीं हारी और लड़कियों की सुरक्षा के लिए निडर होकर अपने कर्तव्य का पालन करती रहीं।
8 प्रतिशत केसों में लड़कियां खुद करती हैं खबर
ज्योति बताती हैं कि सभी केसों में से करीब 8 प्रतिशत केसों में लड़कियां खुद फोन करके शादियां रोकने के लिए फोन लगाती हैं। बाकी केसों में खबरी ही खबर बताते हैं। अगर इसी तरह लड़कियां स्वयं जागरुक होती रहें तो महिलाओं का शोषण और दमन कोई नहीं कर सकता।
25 हजार में बेची थी लड़की
पहला केस 2018 में बंड़ा थाना छापरी गांव का था जहां उड़ीसा में उसकी मां ने 25 हजार में लड़की को बेचा था। यहां आकर उसका बाल विवाह कराया जा रहा था। सूचना मिलने ही मौके पर पहुंचे तो लड़की को छिपा दिया गया। मां के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
मां बन जाए दोस्त
ज्योति का मामना है कि अगर मां दोस्त बन जाए तो महिलाओं से जुड़ी हुई समस्याएं भी अपनेआप हल हो जाएगीं। मां—बाप बच्चों के सबसे अच्छे काउंसलर होते हैं। सही संस्कार और अच्छी परवरिश हमें अच्छा इंसान बनाती है।