नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने जुलाई 2017 से एक बुजुर्ग के लापता होने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने पर आश्चर्य प्रकट किया और प्राथमिकी दर्ज करने एवं इस मामले को अपराध शाखा की मानव तस्करी विरोधी इकाई को सौंपे जाने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने इस विषय में प्राथमिकी दर्ज नहीं किया जाना दिल्ली पुलिस के अपने ही नियमों के विपरीत है।
अदालत ने राज्य को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई की तारीख सात जनवरी को संबंधित पुलिस उपायुक्त के हस्ताक्षर वाली स्थिति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
यह आदेश एक महिला बंदी प्रत्यक्षीकरण अर्जी पर जारी किया गया है जिसमें अपने 60 वर्षीय पिता को पेश किये जाने का अनुरोध किया है। यह बुजुर्ग 10 जुलाई, 2017 को लापता हो गया था।
याचिका के अनुसार पांच दिसंबर, 2017 को याचिकाकर्ता के पिता की गुमशुदगी के बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज करायी गयी थी लेकिन कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी और न ही उनका पता लगाया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘ हम स्तब्ध हैं कि पिता के लापता होने के बारे में इतने समय बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी। यह पुलिस आयुक्त, द्वारा जारी किये गये आदेश संख्या 252/2019 के विपरीत है।’’
भाषा राजकुमार माधव
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