इंदौर: धार के नालछा में प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते एक युवक मवेशी चराने को मजबूर है। दरअसल सालों पहले छोटेलाल को खेलते समय करंट लगा था, जिसके कारण डॉक्टरों को उसका दाहिना हाथ काटना पड़ा। इस घटना की वजह से उसका आधार कार्ड नहीं बन पाया। युवक ने आधार कार्ड के लिए दफ्तरों के कई चक्कर काटे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में आधार कार्ड नहीं बनने पर उसे 9वी कक्षा में एडमिशन नहीं मिल सका। छोटेलाल अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहता था, लेकिन स्कूल में एडमिशन नहीं मिलने पर अब वो मवेशी चरा रहा है। वहीं इस संबंध में जब एसडीएम से चर्चा हुई तो उन्होंने जल्द ही युवक का आधार कार्ड बनवाने का आश्वासन दिया है।
अब दूसरी कहानी धार जिले के एक युवक की जो सिस्टम की लापरवाही की वजह पढ़ना लिखना छोड़कर मवेशी चरा रहा है। सिस्टम के कभी ना समझने वाले नियमों ने इस युवक से उसकी पढ़ाई का हक छीन लिया।
18 साल का छोटेलाल नालछा के पास आंवलिया चैनाल गांव में रहता है और मवेशी चराता है। ऐसा नहीं है कि पढ़ने की इच्छा नहीं है। लेकिन नियमों ने इसे आगे पढ़ने से रोक दिया। छोटेलाल जब आठवीं में था तब उसे बिजली का करंट लगा उसका एक हाथ खराब हो गया और दाहिने हाथ को काटना पड़ा। हाथ कटने के बाद छोटेलाल का आधार कार्ड नहीं बन पाया और आधार कार्ड नहीं बना तो कक्षा नौवीं में उसे दाखिला ही नहीं मिला।
छोटेलाल आगे की पढ़ाई तो नहीं कर सका। उसका बैंक अकाउंट खुलना भी मुश्किल है और सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना भी उसे मुश्किल है। ऐसे में परिवार चिंतित है दूसरी ओर अधिकारियों को पता ही नहीं कि क्या विकलांग व्यक्तियों का आधार कार्ड बन सकता है या नहीं।
एक तरफ से कुत्तों की तस्वीरे लगे आधार कार्ड बन जाते है। मोबाइल सिमकार्ड हासिल करने के लिए ना जाने कितने फर्जी दस्तावेज बना लिए जाते है। तब यही सिस्टम चैन की नींद सोता है और एक युवक जो आगे पढ़ना चाहता है उसके सामने सिस्टम के नियम आड़े आ रहे है। आखिर नियम क्या परेशानी पैदा करने के लिए बने या फिर सहूलियत के लिए सवाल ये है मगर छोटेलाल को इस सवाल का जवाब नहीं मिला है।