Bhatner Fort Hanumangarh Rajasthan: राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित भटनेर किला अपनी प्राचीनता और मजबूती के लिए जाना जाता है। करीब 1700 साल पुराना यह किला कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी भी रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस किले में सबसे ज्यादा बार आक्रमण हुआ है। इसके अलावा इस किले का नाम हिन्दुस्तान के सबसे मजबूत किलों में भी शुमार है। आइए जानते हैं इस किले के इतिहास के बारे में…
हनुमानगढ़ के नाम से भी जाना जाता है
इस किले का निर्माण आज से करीब 1735 साल पहले यानी 285 ईस्वी में भाटी वंश के राजा भूपत सिंह ने करवाया था, इसलिए इसका नाम ‘भटनेर किला’ पड़ा। इस किले को ‘हनुमानगढ़’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने इस किले को भाटियों से जीत लिया था। जिस दिन भाटियों ने विजय प्राप्त की थी उस दिन मंगलवार था जिसे हनुमान जी का दिन मानते हैं, इसलिए किले का नाम हनुमानगढ़ रख दिया गया।
हिंदुस्तान का सबसे मजबूत किला
पक्की ईंटों और चूने से बना यह किला प्राचीन समय का सबसे मजबूत किला माना जाता था। तैमूरी राजवंश के शासक तैमूरलंग ने अपनी जीवनी ‘तुजुक-ए-तैमूरी’ में इसे हिंदुस्तान का सबसे मजबूत किला बताया है। उसने लिखा, भटनेर जैसा मजबूत किला उसने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा है।
कई शासकों ने किले पर किया था राज
अकबर से लेकर पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) तक ने इस किले पर शासन किया। 1001 ईस्वी में महमूद गजनवी ने इस पर कब्जा किया था। 13वीं सदी में गुलाम वंश के शासक बलबन के चचेरे भाई शेर खां का भी यहां राज रहा। शेर खां की कब्र भी इसी किले में है। 1398 में यह किला तैमूरलंग के अधीन हो गया था।
किले में हैं कई मंदिर
इस किले के अंदर हनुमान मंदिर से लेकर शंकर जी के कई मंदिर हैं। 52 बुर्ज वाले इस किले में शेरशाह सूरी की भी कब्र है। कहा जाता है कि, इस किले में एक भूमिगत सुरंग भी बनवाई गई थी, जो भटनेर से भठिंडा और सिरसा के किलों तक जाती थी।