कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी बढ़ता जा रहा है। लोगों की नजरें भी वैक्सीन पर आकर टिक गई हैं कि कब वैक्सीन आएगी। लेकिन क्या वाकई में कोरोना वैक्सीन नैचुरल इम्यूनिटी के मुकाबले बेहतर होती है? दरअसल, अमेरिका में यही मुद्दा काफी चर्चा में है क्योंकि इस मामले पर बहस छिड़ चुकी है। क्योंकि वहां के एक जाने-माने सांसद रैंड पॉल ने ट्वीट किया है कि कोविड-19 की ‘नैचुरल इम्यूनिटी’ करीब 99.9982 फीसदी होती है। तो आइए जानते हैं इस बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है…
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया है कि यह एक ऐसा सवाल है जिसका संक्षिप्त जवाब है- ‘हम नहीं जानते’। हालांकि, एक्सपर्ट्स यह जरूर कहते हैं कि वैक्सीन लगाने के बाद इतनी इम्यूनिटी तो बनती ही है जिससे लोग वायरस की चपेट में भी आ गएं तो गंभीर बीमार नहीं पड़ेंगे। साथ ही वैक्सीन कोरोना से बीमार होने के मुकाबले सुरक्षित भी है। अमेरिका के महामारी रोग विशेषज्ञ बिल हैनेज कहते हैं कि जो लोग कोरोना से हल्के बीमार पड़े हैं, उनमें इम्यूनिटी कुछ महीने में कम हो सकती है और ऐसे लोगों को वैक्सीन फायदा पहुंचा सकती है।
टोरंटो यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट जेनिफर गोमरमैन कहती हैं कि ‘प्राकृतिक इम्यूनिटी’ वैक्सीन के मुकाबले बेहतर होती है, इस थ्योरी के साथ समस्या है। समस्या यह है कि कौन कोरोना संक्रमण के बाद बीमार नहीं पड़ेगा, इसका आकलन करना मुश्किल है। लेकिन वैक्सीन का पहला फायदा ये है कि यह सुरक्षित है और प्रभावी इम्यून भी पैदा कर रही है।
क्या कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को लगेगी वैक्सीन
कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या जो लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और उनके शरीर में इम्यूनिटी तैयार हो चुकी है तो क्या उन्हें भी वैक्सीन लगानी होगी? तो इस बारे में वॉशींगटन यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट मैरियअन पेपर कहती हैं कि अगर किसी को पहले ही कोरोना हो चुकी है तो उन्हें अपने इम्यून रेस्पॉन्स को बूस्ट करने से कोई नुकसान नहीं होगा। वहीं नेचुरल तौर से उनके शरीर में जैसी भी इम्यूनिटी बनी हो, वैक्सीन से वह बेहतर हो जाएगा।