मंडला: मध्य प्रदेश के मंडला में मोहनटोला क्षेत्र में करोड़ों साल पुराने जिवाश्म डायनासोर के अंडे (Dinosaurs Egg) मिले हैं। यह दावा सागर के केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीके कटहल ने किया है। ये जीवाश्म करीब 6.5 करोड़ साल पुराने बताए जा रहे हैं।
इतना ही नहीं प्रोफेसर ने ये भी दावा किया है कि ये एक नई प्रजाति के जिवाश्म हैं, जो कि अब एक अंतरराष्ट्रीय शोध का केंद्र है। हालांकि इस बारे में प्रोफेसर का कहना है कि ठीक तरह से देखरेख ना होने के कारण ये किमती धरोहर नष्ट होती जा रही है। हालांकि इसके बाद कलेक्टर ने जिवाश्मों को सहज कर रखने की बात कही है।
2 किलो 600 ग्राम बताया जा रहा डायनासोर के अंडों का वजन
प्रोफेसर द्वारा दावा किया जा रहा की डायनासोर के 7 अंडें का जीवाश्म मिला है, जिनका वजन 2 किलो 600 ग्राम बताया गया है। जिनका आकार फुटबॉल की तरह गोल है। वहीं डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के व्यवहारिक भूविज्ञान विभाग के जीवाश्म विज्ञानी प्रो. पीके कठल ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर यह पुष्टि की है कि यह जिवाश्म डायनासोर के अंडे है।
दरअसल मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में रहने वाले पुनित राय सुबह- सुबह घूम रहे थे। इसी दौरान कुछ बच्चे इन ‘अंडों’ को फूटबॉल समझकर उनके साथ खेल रहे थे। तभी पुनीत राय की नजर इस पर पड़ी, इसकी जानकारी उन्होंने तुरंत पुरात्तव विभाग को दी। इसके बाद इन जीवाश्मों के अध्ययन के लिए सागर से प्रोफेसर प्रदीप कठल को बुलाया गया. प्रोफेसर कठल 30 अक्टूबर को मंडला आए। फिर उन्होंने जीवाश्म को स्केन इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप से अध्ययन किया जिससे पता चला है कि ये जीवाश्म अपर क्रिटेशियस काल के डायनासोर के हैं।
मंडला में करीब साढ़े छह करोड़ साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म मिलने की पुष्टि हुई है। दरअसल पिछले दिनों महाराजपुर मोहन टोला के पहाड़ी क्षेत्र में फरवरी में जीवाश्म पाए गए थे। जिन्हें जांच के लिए सागर यूनिवर्सिटी भेजा गया था। जांच के बाद पाया गया कि ये शाकाहारी डायनासोर के अंडे के जीवाश्म है। साढ़े छह करोड़ साल पहले नर्मदा के आसपास डायनासोर की मौजूदगी थी।