रायपुर: छत्तीसगढ़ में हमेशा से राजनीति के केंद्र में रहे किसान एक बार फिर से मुद्दा बनने जा रहे हैं किसानों की आत्महत्या और किसानों से जुड़े कृषि बिल को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं।
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा माना जाता है और 70% से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है। यही वजह है कि यहां किसान हमेशा सियासी मुद्दा रहा है। एक बार फिर किसान आत्महत्या के मामलों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हैं। कथित तौर पर अभनपुर के तोरला गांव में किसान ने नकली खाद की वजह से आत्महत्या कर ली। हाल ही में ये चौथी किसान की आत्महत्या का मामला है। विपक्ष के साथ ही किसान संगठन भी लामबंद हो गए हैं। किसान संगठनों ने 10 नवंबर से धान खरीदी की मांग को लेकर प्रदर्शन का एलान किया है। बीजेपी का खेत सत्याग्रह पहले से चल रहा है।
विपक्ष के आरोपों को सरकार राजनीति से प्रेरित बता रही है। अभनपुर के विधायक ने किसान आत्महत्या का कारण उसकी मानसिक स्थिति खराब होना बताया..वही जल्दी धान खरीदी की मांग को मुख्यमंत्री ने बीजेपी की राजनीतिक करार दिया है।
फिलहाल प्रदेश में किसानों के मुद्दे को लेकर फिर विपक्ष और किसान संघ लामबंद है। दूसरी तरफ किसानों से किए हर वादों के मुताबिक सरकार ने हाल में बढ़े फैसले लिए हैं। किसानों को धान के बोनस की तीसरी किश्त जारी की गई। बारदानों की कमी के बावजूद सरकार ने 1 दिसंबर से धान खरीदी का भी एलान किया है।