देवास: मां चामुंडा और तुलजा मां का धाम है जहां हर साल दूर-दूर से श्रृद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। देवास में माता टेकरी पर विराजीं मां तुलजा और चामुंडा देवी का धाम रक्तपीठ में शामिल है। माता चामुंडा और तुलजा के इस सिद्ध मंदिर में सामान्य दिनों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु तो पहुंचते ही है लेकिन हर साल शारदीय नवरात्री में श्रद्धालुओं की संख्या लाखों के आंकड़े में रहती है।
माता चामुंडा और तुलजा भवानी से जुडी मुख्या मान्यता यह है की यहां दरबार में पहुंचे भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते, उनकी हर मुरादें पूरी होती है। माता चामुंडा और तुलजा का ये स्थान रक्त पीठ के नाम से भी जाना जाता है। बड़ी माता तुलजा भवानी और छोटी माता चामुंडा माता के साथ-साथ यहां हनुमान जी, भैरव नाथ, अन्नपूर्णा माता और अन्य देवी देवताओं के भी सिद्ध मंदिर मौजूद है। जो विक्रमादित्य कालीन मंदिर माने जाते है।
कोरोना काल में इस साल भक्त से मास्क लगा कर आने की अपील की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने सैनिटाइजेशन समेत सुरक्षा व्यवस्था का भी इंतजाम किया गया है।
देवास शहर को माता चामुंडा और तुलजा की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्र को यहां का सबसे बड़ा पर्व और त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। नवरात्र के इन नौ दिनों तक पूरे शहर में भक्तिमय माहौल बना रहता है।