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भोपाल। बालाघाट का चावल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में अपने चावल की खास किस्मों, जायके और खुशबू के लिए पहचान रखता है। बालाघाट के चावल की होती है बड़ी डिमांड और इसी डिमांड ने अंजाम दे दिया एक बड़े चावल घोटाले को। घोटाले के आरोप लग रहे हैं राइस मिलर्स और अधिकारियों पर। पिछले साल हुई धान खरीदी में फूड कार्पोरेशन ने करीब 40 लाख क्विंटल धान खरीदा था। अनुबंध के तहत राइस मिलर्स को 30 लाख क्विंटल धान मिलिंग के लिए दिया गया।
मिलिंग के बाद इसका 67 फीसदी चावल राइस मिलर्स को सरकारी गोदामों में जमा करवाना होता है। मगर अधिकारियों और राइस मिलर्स की सांठगांठ के चलते धान, मिलिंग से पहले दूसरे राज्यों में बेच दिया गया और यूपी बिहार से घटिया चावल मंगाकर सरकारी गोदामों में जमा करवा दिया गया अब जो चावल गोदामों में इकट्ठा था उसी चावल को पीडीएस के जरिए राशन दुकानों को दिया गया। केंद्रीय मंत्रालय ने इसी चावल की जांच की और इसे जानवरों के खाने लायक पाया।
अधिकारी अपनी दलीलें दे रहे
केंद्र सरकार के मापदंड के मुताबिक नागरिक आपूर्ति निगम और फूड कॉर्पोरेशन को चावल खरीदना होता है। क्वालिटी को चैक करने की जिम्मेदारी क्वालिटी इंस्पेक्टर की होती है। अगर माल की गुणवत्ता सही नहीं है तो चावल गोदाम में जमा नहीं किया जा सकता। लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकारी की जांच टीम की रिपोर्ट आई है, उसने सारी पोल खोलकर रख दी है। मिलीभगत और भ्रष्टाचार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी अपनी दलीलें दे रहे हैं।
सियासत होती नजर आ रही
बालाघाट जिले में करीब 150 राइस मिल हैं। चावल के 1 लाट में 580 बोरियां होती हैं। खराब गुणवत्ता का एक लाट जमा करने के एवज में 5 से 6 हजार रुपए लिए जाने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि इन सारी अनियमितताओं के बीच बालाघाट और मंडला जिले का 31 हजार क्विंटल चावल रिजेक्ट किया है। इसके अलावा 18 राइस मिल्स से चावल लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया ह। जिसमें संचेती राइस उद्योग, वारासिवनी, मां दुर्गा राइस मिल, वारासिवनी, लक्ष्मी राइस उद्योग, वारासिवनी, संचेती सॉरटेक्स, वारासिवनी, श्री कुमार राइस मिल, नैतरा, आकाश इंडस्ट्रीज़, वारासिवनी, तोलानी राइस मिल, वारासिवनी महालक्ष्मी राइस मिल, खमरिया, श्री सिद्धी विनायक राइस मिल, खमरिया, बाबा राइस मिल, सावंगी, बजरंग राइस मिल, बैहर, अंबिका राइस मिल, बैहर, सताक्षी राइस इंडस्ट्रीज़, बैहर, चैतन्य प्रसाद अग्रवाल, बैहर, श्री लक्ष्मी राइस मिल, उकवा, बीबी राइस मिल, गर्रा, गीता ट्रेडर्स, गर्रा के नाम है। अब इस घोटाले के सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर भी सियासत होती नजर आ रही है।
हड़कंप भी देखा जा रहा
केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा जांच और बड़ा गड़बड़झाला सामने आने के बाद केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा जिले के सभी गोदामों की जांच के आदेश दिए गए हैं। साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि जब तक सभी गोदामों में रखे सैंपल की जांच ना हो जाए तब तक चावल पीडीएस से सप्लाई न किया जाए। जाहिर है इस बड़े खुलासे ने एक नेक्सस को तो बेनकाब किया ही है, सफेद चावल के काले कारनामे में शामिल राइस मिलर्स के बीच हड़कंप भी देखा जा रहा है।
मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा करेगी
बालाघाट में गरीबों को घटिया चावल बांटने के मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) करेगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों के साथ बैठक में मामले की जांच के आदेश दे दिए। वहीं बालाघाट में राइस मिलर्स से चावल जमा कराने पर रोक लगाई गई है। कलेक्टर दीपक आर्य ने इस मामले में 18 राइस मिलर्स संचालकों वेयर हाउस कारपोरेशन एवं नागरिक आपूर्ति निगम के 9 कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर कराई है।