उज्जैन: कोरोना महामारी ने न केवल लोगों के जीवन को खतरे में डाला है, बल्कि समाजिक ताने-बाने को भी बिगाड़ कर रख दिया है। शहरों से लेकर गांव तक रोज डराने वाली कहानी सामने आ रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है उज्जैन के महिदपुर से सामने आया है, जहां एक दलित के शव का श्मशान घाट में इसलिए अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया, क्योंकि श्मशान प्रबंधन समिति को उसके कोरोना पॉजिटिव होने का शक था। जबकि मृतक की कोरोना रिपोर्ट नेगिटिव आ चुकी थी।
मामला उज्जैन के महिदपुर के जमालपुरा टोडी का है। जहां विमल परमार के पिता का देवास में इलाज के दौरान निधन हो गया था। मृतक की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इस बात की पुष्टि देवास सीएमओ ने की। शमशाम घाट संचालन ने शव के अंतिम संस्कार से मना कर दिया, करीब 1 घंटे तक पुलिस थाने का घेराव करने के बाद मामले के राजनीतिक रूप पकड़ने के साथ ही पुलिस ने सत्या शमशान घाट के संचालक प्रकाश दूबे के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। जिसके बाद देर रात परिजनों ने क्षिप्रा नदी के किनारे पिता अंतिम संस्कार किया गया।
कोरोना पीड़ित परिवार के साथ भी अन्याय
वहीं दूसरा मामना मौहर का है जहां बुधवार को एक कोरोना पीड़ित परिवार के साथ भेदभाव का मामला सामने आया था। परिवार में एक महिला की कोरोना के चलते मौत हुई, जिसके बाद चौधरी परिवार के घर को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। महिला की मौत से परिवार दुखी है, वहीं अब बूंद-बूंद पानी के लिए भी तरस रहा है। ग्रामीणों ने परिवार पर हैंडपंप से पानी भरने पर रोक लगा दी और ना ही परिवार को पानी भरने दिया जा रहा है। परिवार में कुल 15 सदस्य हैं जिसमें 8 बच्चे शामिल हैं। ऐसे में परिवार का कहना है कि प्रशासन जब हमें सुविधाएं नहीं दे पा रहा तो कम से कम जहर ही दे दे। पानी की जगह जहर पीकर इस परेशानी से मुक्त हो जाएंगे।