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76th Republic Day: कहानी तिरंगे की..! 1947 में देश को मिला पहला आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज

भारत को कैसे मिला अपना आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज जानें पूरी कहानी।

Vishalakshi Panthi by Vishalakshi Panthi
January 25, 2025
in टॉप न्यूज, भारत
Tricolor
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76th Republic Day: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की भी अपनी कहानी है। राष्ट्रीय ध्वज का अपना दिन भी है। चलिए भारत के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं। देश को आजादी मिलने से पहले 22 जुलाई 1947 को ही कॉन्स्टीटूएंट असेम्बली ने देश का आधिकारिक ध्वज अपनाने का फैसला किया। लेकिन यह फैसला लेना इतना भी आसान नहीं था। इसमें कई बदलाव करने पड़े थे।  

भारत के पास नहीं था अपना आधिकारिक ध्वज

दरअसल, 22 जुलाई 1947 से पहले भारत का अपना कोई आधिकारिक झंडा नहीं था। आजादी मिलने में एक माह से भी कम था और आधिकारिक कार्यों में अब भी अंग्रेजों के झंडे का ही उपयोग किया जा रहा था। ऐसे में यह जरूरी था कि देश का अपना आधिकारिक ध्वज हो। आजादी के लिए तय हो चुकी 15 अगस्त 1947 की तारीख से 23 दिन पहले ही ध्वज का चयन कर लिया गया।

मौर्य या मुगल काल कभी नहीं था देश का झंडा

अब देश का अपना आधिकारिक झंडा होना एक बड़ा मुद्दा बन गया था। इसके निर्धारण में काफी समय भी लगा। तिरंगा के मूल रूप को बनने में सालों लग गए थे। दरअसल, हजारों साल के इतिहास में भारत का कोई झंडा ही नहीं था। अंग्रेजों से पहले कुछ बड़े साम्राज्य जरूर बने, जैसे मौर्य साम्राज्य, जिसका करीब पूरे भारत पर ही कब्जा था। लेकिन तब भी देश का कोई एक आधिकारिक झंडा नहीं बना था। 

इसके बाद 17वीं सदी में मुगलों के भारत पर कब्जा करने के बाद भी देश के झंडे के बारे में किसी को ख्याल तक नहीं आया। आजादी से पहले भारत में 562 से ज्यादा रियासतें थीं, लेकिन सभी के अलग-अलग झंडे थे।   

1921 में मिला देश को पहला झंडा 

1921 Flag Of India

स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने भारत का पहला ध्वज डिजाइन किया था। उन्होंने साल 1916 से लेकर 1921 तक 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर रिसर्च की। इसके बाद साल 1921 में कांग्रेस सम्मेलन में उनका डिजाइन किया राष्ट्रीय ध्वज पेश किया गया। 

ऐसा था देश का पहला झंडा

वेंकैया के डिजाइन झंडे में लाल रंग हिंदू और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता था। वहीं इसमें सफेद रंग और चरखा गांधी जी के सुझाव पर  शामिल किया गया था। इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अगस्त 1931 में अपने वार्षिक सम्मेलन में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव पारित किया।

1931 के झंडे में बदलाव कर अपनाया नया झंडा 

1931 Flag of India

22 जुलाई 1947 को कॉन्स्टिटूएंट असेम्बली ने जो तिरंगा देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया वह 1931 का तिरंगा नहीं था। देश के नए तिरंगे में लाल रंग की जगह केसरिया रंग कर दिया गया। नीचे हरा और बीच में सफेद रंग रखा गया। केसरिया रंग देश की धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति का प्रतीक माना गया। वहीं सफेद रंग शांति का तो हरा रंग प्रकृति का प्रतीक माना गया है।

गांधी के चरखे को अशोक चक्र से बदला

नए तिरंगा में गांधी जी के चरखे के स्थान पर अशोक चक्र लाया गया। कॉन्स्टिटूएंट असेम्बली में झंडे का प्रस्ताव रखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए बताया था कि झंडे की सफेद पट्टी में एक चक्र होगा। इस चक्र का रंग नीला होगा। चक्र सम्राट अशोक की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह नीले रंग का चक्र धर्म चक्र भी कहा जाता है। इस चक्र को भारत की विशाल सीमाओं का प्रतीक माना गया है। 

ध्वज संहिता

53वें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2002) पर भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। स्‍वतंत्रता के कई साल बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍टरी में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के तिरंगा फहराने की अनुमति मिली। 

अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय ध्वज को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते हैं। बशर्ते कि ध्‍वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करना होगा और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दी जाए। सुविधा के अनुसार, भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांट दिया गया। 

ध्वज संहिता के तीन भाग

भाग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का सामान्य विवरण है। दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केंद्र और राज्य सरकारों व उनके संगठनों और अधिकरणों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।

Vishalakshi Panthi

Vishalakshi Panthi

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