दुनिया की सबसे छोटी हाथ से लिखी हुई हनुमान चालीसा लखनऊ में है। पिछले 12 साल से इसकी देखभाल एक रिटायर्ड सिविल इंजीनियर अशोक कुमार कर रहे हैं। इसे सुरक्षित रखने के लिए सोने के कलश और चांदी के बॉक्स में रखा जाता है। दरअसल, अशोक ने अपने घर में ही ‘द लिटिल म्यूजियम’ बनाया है। जिसमें उन्होंने विश्व की तमाम दुर्लभ चीजों को संजो कर रखा है। हमने उनके म्यूजियम पहुंचकर इस अनोखी 1 सेंटीमीटर की हनुमान चालीसा को करीब से देखा।
1 सेमी लंबी, 1 सेमी चौड़ी है हाथ से लिखी चालीसा
हनुमान भक्त अशोक कुमार ने बताया, ‘इस हनुमान चालीसा को बड़ी ही बारीकी से लिखा गया है। एक किताब के शेप में बाइंड किया गया है। इसके एक हिस्से में चौपइयों से संबंधित हनुमान के चित्र बने हुए हैं। दूसरे हिस्से में पूरी हनुमान चालीसा और हनुमानाष्टक भी लिखा हुआ है। लिखावट इतनी महीन है कि इसे पढ़ने के लिए 10X पावर वाला मैग्नीफाइंग लेंस लगता है।’
इसकी लंबाई 1 सेंटीमीटर लंबी, एक सेंटीमीटर चौड़ी और मोटाई 3 मिलीमीटर की है। अशोक कुमार ने इसे लेंस की मदद से खुद पढ़कर भी दिखाया।
फिरंगियों के हाथ में जाने से बचाई हनुमान चालीसा
UP जल निगम से रिटायर्ड इंजीनियर अशोक कुमार गुप्ता लखनऊ के गोमती नगर में रहते हैं। अशोक बताते हैं, “साल 2009 में मेरी पोस्टिंग कन्नौज में थी। तब मैंने एक न्यूज पेपर में पढ़ा कि गोरखपुर के वर्मा जी ने दुनिया की सबसे छोटी हनुमान चालीसा बनाई है और इसकी कीमत 1 लाख रुपए है। उस वक्त मैं उनसे नहीं मिल पाया था।”
अशोक के ‘द लिटिल म्यूजियम’ में एक 70 साल पुरानी हनुमान चालीसा भी मौजूद है। इस छोटी हनुमान चालीसा को चांदी के पन्नों पर कुरेदा गया है। अशोक को ये चालीसा मुंबई में लगी एक प्रदर्शनी में मिली थी।
हनुमान पर जारी पहला डाक टिकट भी कलेक्शन में
अशोक के कलेक्शन में राम और हनुमान से जुड़े दुर्लभ डाक टिकट और सिक्के भी मौजूद हैं। उन्होंने हमें रामायण पर पहली बार 22 सितंबर 2017 में लॉन्च एक डाक टिकट दिखाए। इन टिकटों में रामायण की पूरी कथा को दर्शाया गया है। इसके साथ ही उनके पास संत तुलसीदास पर 1 अक्टूबर 1952 में लॉन्च हुआ डाक टिकट भी मौजूद है। 24 मई 1975 को रामचरित मानस पर लॉन्च हुआ डाक टिकट भी कलेक्शन में है।