शिक्षा महिला आत्मनिर्भरता
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते दान देवता
के सूक्त का पालन करने वाले इस राष्ट्र की सार्वभौमिक शक्ति एकता का मूल वस्तुतः नारी ही है। परिदृश्य वर्तमान का हो या अतीत का, नारी कौशल, बुद्धिमान और आत्मनिर्भरता का एक गौरवान्वित इतिहास समेटे हुए है। अपाला, विदुषी, गार्गी से लेकर इंदिरा गांधी, कल्पना चावला और आज सुनीता विलियम्स, निर्मला सीतारमण तक का महत्वपूर्ण सफर भारतीय नारी ने तय किया है। माना कि सच है नारी सशक्तिकरण में कुछ बाधाएं सामाजिक मान्यताएं बनकर तो कुछ रूढ़ीवादी मानसिकता बन कर आईं। पर सच ही कहा गया है —
वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या
जिस पथ में बिखरे शूलन हो
नाविक को धैर्य परीक्षा क्या
यदि धाराएं प्रतिकूल न हो
सारी बाधाओं से लड़कर आज की नारी सफलता के शिखर छू रही है। शिक्षा, बैंकिंग तकनीकी, मेडिकल से लेकर सेना तक में नारी कौशल का परचम फैला हुआ है। उदाहरण के लिए महिला पायलट उर्वशी जारी वाला भी बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल थीं। घर से लेकर बाहर तक की जिम्मेदारियों का निर्वहन बहुत ही कुशलता से करते हुए दुखद समय में भी परिवार एवं राष्ट्र का अवलंब बनने वाली भारतीय नारी ने कोविड जैसी वैश्विक महामारी में भी अपने अमूर्त पूर्व समय का परिचय दिया है। जब रोजगार बंद होने से सैकड़ों परिवार भुखमरी की स्थिति में आए थे तो परिवार की महिलाओं ने अनेकों कुटीर उद्योगों, ऑनलाइन ट्यूशन बहुत से हस्त निर्मित सामान बनाकर अपने परिवार का पोषण किया। और एक आदर्श भी प्रस्तुत किया है। विपदा में भी हमने हिम्मत नहीं हारी। आत्मनिर्भरता के पथ पर चलने वाली भारतीय नारी ने अपने मूल्यों में जरा भी समझौता नहीं किया। भारतीय संस्कृति के आदर्शों को अपने सिर का ताज बना कर रखा है और प्रतिभा को और निखारा है। हमारी भारतीय नारी के कुछ उल्लेखनीय योगदान और उपलब्धियां इस प्रकार हैं।
१ शिक्षा के क्षेत्र में —
भारत में लगातार महिला शिक्षकों की संख्या बढ़ती जा रही है। एमएचआरडी की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में निकलने वाली रिक्तियों में महिला आवेदक पुरुषों से ज्यादा रहती हैं। हालांकि अभी उनकी संख्या पुरुषों से ज्यादा नहीं है। पर उनका योगदान पुरुषों से कम नहीं है।
२ खेलकूद के क्षेत्र में —
खेलों में भी भारतीय महिलाओं ने अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन को दोहराया है। एक महिला एथलीट का तो नाम भी उड़न परी है। अभी जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में 69 मेडल के साथ भारत में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। जिसमें से 28 मेडल महिला खिलाड़ियों ने अपने नाम किया। जिसमें से 5 गोल्ड मेडल, 12 सिल्वर और 11 ब्रांच मेडल थे। टोक्यो पैरा ओलंपिक में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले खिलाड़ी का नाम अवनी लखैरा है। ओलंपिक में पदक जीतना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। और भारत ने कुल 7 पदक जीते। जिसमें से 3 महिला खिलाड़ियों ने जीते। क्रिकेट से लेकर हॉकी एथलेटिक्स, हर खेल में हमारी महिला खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है।
३ लेखन के क्षेत्र में —
लेखन के क्षेत्र में महिलाएं सदैव ही आगे रही हैं। महादेवी वर्मा से लेकर अमृता प्रीतम और वर्तमान में अनेकों महिलाएं अपनी लेखनी के सृजन से साहित्य की दुनिया को सजा रही हैं। 1997 मैं प्रतिष्ठित बुकर प्राप्त कर अरुंधति राय ने पूरी दुनिया में अपनी कलम का लोहा मनवा लिया था।
५ रक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में —
भारत सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भारतीय सेना में 6807 महिलाएं काम कर रही हैं। वही वायु सेना में इनकी संख्या 1607 है। सरकार के मुताबिक वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में लड़कियां की संख्या सेना की तीनों सेवा में बढ़ी है। श्रीमती टेसी थॉमस जो कि रक्षा अनुसंधान में एक प्रमुख पद पर कार्यरत हैं। उन्हें “मिसाइल वूमेन” भी कहा जाता है। महिला पायलट और वशी जरीवाला का भी बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक में बड़ा योगदान रहा है। इस प्रकार से हमने देखा है कि राष्ट्र की प्रगति में महिलाएं किस प्रकार अपना योगदान दे रही हैं। सरकार ने उनकी इस प्रतिभा को पहचान कर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
सरकार के द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम —
आज तक जो भी सरकार रही है। सभी ने महिला सशक्तिकरण में अपना योगदान दिया है। सभी में महिलाएं भी उच्च पदों पर आसीन रही हैं। वर्तमान सरकार ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान के साथ “सशक्त नारी सशक्त भारत” के नारे के साथ एक नई ऊर्जा भर दी है। महिलाओं के स्वास्थ्य शिक्षा एवं उनकी परेशानियों के निवारण हेतु सरकार अनेकों महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही हैं। जैसे उज्जवला योजना, मातृत्व बिल (26 सप्ताह), कौशल विकास योजना, मुद्रा योजना (17 फ़ीसदी लोन महिला उद्यमियों को दिए जाते हैं), सुकन्या समृद्धि योजना एवं अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए नई रोशनी योजना आदि सरकार अपने प्रयासों से प्रगतिशील नारी को सशक्त बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। जिससे इस नए भारत की नारी अपने नवीन जीवन रूप से पूरी दुनिया को अचंभित कर दे। आज की नारी शिक्षित है, स्वाबलंबी है और आत्मनिर्भर भी है। इसके अलावा मिलने वाले अवसर उसके लिए स्वर्णिम उत्सव समान हैं। अंततः जयशंकर प्रसाद जी की यह लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है आज की स्वाभिमानी नारी पर —
नारी तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास इजत नग पग तल में,
पीयूष सरित सी वह करो
जीवन के सुंदर समतल में
डॉक्टर अर्चना दुबे
सहायक प्राध्यापक
सेफिया विज्ञान एवं शिक्षा महाविद्यालय भोपाल