Herbal Colours ऐसा कलर, जो बीते 40 हजार साल से नहीं छूटा। खुले मौसम में होने के बावजूद आदिमानव काल के इस रंग की चमक आज भी देखी जा सकती है। यहां हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित आबचंद की गुफाओं में बने शैलचित्रों के रंग की। Natural Color Of Primeval, strongest color, most sure color, Natural Color
सागर जिला मुख्यालय से पूर्व की ओर सागर-गढ़ाकोटा मार्ग पर पढ़ने वाले इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व है, लेकिन अब तक इस जगह को किसी तरह का संरक्षण भी नहीं मिल सका है। बावजूद इसके गदेरी नाम की नदी के किनारे-किनारे बनीं आबचंद की गुफाओं में करीब चालीस हजार साल पहले यहां रहने वाले आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैल चित्र आज भी अपना रंग बरकरार रखे हुए हैं।
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किसी तरह की रोक न होने के चलते हर इंसान की पहुंच यहां तक आसान है, जिसके चलते बच्चों और असामाजिक तत्वों द्वारा गुफाओं में बने इन शैल चित्रों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी जाती है। बता दें कि आदिमानवों ने इन चित्रों को बनाने के लिए प्रकृतिक रंगों का उपयोग किया। यह रंग इतने पक्के हैं कि आज के रंग भी इनके सामने फेल हो जाएंगे। हजारों सालों से खुले वातावरण में रहने के बावजूद भी यह रंग मिटा नहीं
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जब इन चित्रों के बारे में यहां के स्थानीय लोगों से बात की गई तो, उन्हें भी इन ऐतिहासिक शैल चित्रों के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी। यहां के लोगों का कहना है कि पुराने जमाने में यहां से गुजरने वाली किसी बारात द्वारा यह चित्र बनाए गए थे।
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यहां गुफाओं में बने इन चित्रों में आदिमानव काल की झलक देखने को मिलती है, जिसमें शिकार करने से लेकर आदिम काल के जीवन को दर्शाया गया है। आदिमानवों ने प्राकृतिक रंगों से अपनी जीवनचर्या को यहां उकेरा है।
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बता दें कि गदेरी नदी के किनारे-किनारे करीब 7 घाटों पर प्रकृतिक रंगों से इन चित्रों को उकेरा गया है। यहां कुल 30 चित्र देखने को मिलते हैं, जो हमें बताते हैं कि प्राकृतिक रंग कितना मजबूत था।अब यदि इस स्थान और इन शैल चित्रों को सही तरीके से संरक्षण मिल सके तो यहां पर्यटन की भी काफी संभावना देखने को मिल रही है। इस विषय पर कुछ लोग शोध भी कर चुके हैं।