नई दिल्ली। आज देश राष्ट्ररपिता महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मना रहा है। इस दिन को हम गांधी-जयंती के रूप में भी जानते हैं। इस दिन देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत तमाम गणमान्य व्यक्ति राजघाट पहुंचते हैं और बापू की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से 35 साल पहले इसी स्थल पर देश के प्रधानमंत्री के ऊपर जानलेवा हमला किया गया था। इस घटना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि उस दिन आखिर हुआ क्या था।
चंद मिनट के अतंराल में दो बार हमला किया गया
2 अक्टूबर, 1986 के दिन देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उपर जानलेवा हमला किया गया था। हमला ठीक उसी जगह पर किया गया था जहां गांधी जी का समाधि स्थल है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दिन चंद मिनट के अंतराल में प्रधानमंत्री के ऊपर दो बार हमला किया गया था। हैरानी की बात यह है कि इस हमले को ऐसी जगह अंजाम दिया गया, जहां पहले से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। प्रधानमंत्री के साथ इस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह भी मौजूद थे।
दिल्ली पुलिस ने चप्पे-चप्पे को छाना था
मालूम हो कि इस हमले से करीब दो साल पहले ही 31 अक्टूबर 1984 को उनकी मां प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को, उनके ही सुरक्षा गार्डों ने घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे देश में सिखों के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे। ऐसे में खुद की सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी फूंक-फूंक कर कदम रखते थे। लेकिन जिस दिन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर हमला हुआ, उस दिन उनके राजघाट पहुंचने से ठीक पहले, दिल्ली पुलिस ने चप्पे-चप्पे को छाना था। इसके अलावा प्रधानमंत्री के साथ विशेष सुरक्षा दल (Special Protection Group यानी SPG) की टीम भी चल रही थी।
अधिकारियों ने ओके का ग्रीन सिगनल दिया था
तमाम सुरक्षा इंतजामों की पूर्व गहन पड़ताल के बाद और दिल्ली पुलिस के सुरक्षा अधिकारियों से “ओके” का ग्रीन सिगनल मिलने के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री राजघाट पहुंचे थे। लेकिन तब तमाम इंतजामों के बाद एक ही स्थान पर प्रधानमंत्री के ऊपर दो-दो बार गोलियां दाग दिए जाने की घटना ने, देश के खुफिया तंत्र और दिल्ली पुलिस की कार्य-प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए थे। इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस के एडिश्नल पुलिस कमिश्नर सिक्योरिटी एंड ट्रैफिक गौतम कौल को सस्पेंड कर दिया गया था।
कई दिन तक पेड़ पर छिपा रहा हमलावर
हालांकि, उस घटना को अंजाम देने वाला युवक करमजीत सिंह मौके पर ही पकड़ लिया गया था। उस घटना को अंजाम देने के लिए आरोपी करमजीत सिंह पहले से ही वहां जाकर छिप गया था। उसने एक पेड़ के ऊपर कई दिन तक शरण लेकर प्रधानमंत्री पर नाकाम कातिलाना हमला किया था। हमलावर पंजाब का रहने वाला था। इंदिरा गांधी के मर्डर के बाद देश में मचे बवाल में उसके एक दोस्त की दिल्ली में भीड़ ने हत्या कर दी थी इसी से खफा करमजीत सिंह 2 अक्टूबर 1986 को राजघाट परिसर में प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कत्ल करके अपने दोस्त की हत्या का बदला लेने पहुंचा था।
सीबीआई की पूछताछ में करमजीत ने कबूला था कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी, उस हमले में किसी भी तरह से जीवित न बचें। इसके लिए उसने पंजाब में एक लड़के के पांव में गोली मारकर, रिवॉल्वर से निशाना साधने की प्रैक्टिस भी की थी। उस सिलसिले में करमजीत के खिलाफ पंजाब पुलिस ने हत्या की कोशिश का एक मुकदमा, प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर हुए हमले से पहले ही कर रखा था।
लोग मान रहे थे कि टायर फटने की आवाज है
जब हमला हुआ तो राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के साथ चल रहे प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा भी था कि, ‘देखिए गोली चली है, मानिए यह गोली चलने की आवाज है।” लेकिन कुछ लोगों ने गोलियों की उस आवाज को टायर फटने की बात कहकर नजरंदाज कर दिया।’ लेकिन जब वापसी में दोबारा गोली चली तब पहले से ही चौकन्ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने फिर कहा, ‘देखिये मैं कहता हूं यह गोली चलने की आवाज है। यह आवाज टायर फटने की नहीं हो सकती।’ इसके बाद जब छानबीन शुरू हुई तो हमलावर करमजीत सिंह घटनास्थल पर मौजूद एक पेड़ से खुद ही उतर कर मौजूद लोगों के बीच आ गया और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।