Triple talaq. 22 अगस्त 2017… ये वो दिन था जब मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक (Triple talaq) से मुक्ति मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में ट्रिपल तलाक (Triple talaq) को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। 1400 साल पुरानी प्रथा को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार से कानून बनाने के लिए कहा था।
कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने कानून बनाते हुए एकसाथ तीन बार तलाक बोलकर या लिखकर निकाह खत्म करने को अपराध की श्रेणी में लाया था।
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कानून बनने के बाद सामने आए 13 लाख केस
इस क्राइम के लिए अधिकतम तीन साल कैद की सजा का प्रावधान होने के बावजूद पांच साल में ट्रिपल तलाक (Triple talaq) के 13 लाख केस सामने आए हैं। साल 2023 में 1.5 लाख से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं इसका शिकार बन चुकी हैं। ये पूरा डाटा कानून मंत्रालय ने जारी किया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
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क्यों बढ़ रहे मामले?
रिपोर्ट्स की मानें तो रोक के बावजूद तीन तलाक के मामलों में इजाफा होना जागरूकता की कमी को दिखाता है। इसके लिए मुस्लिम वर्ग के नेताओं और धर्मगुरूओं को जागरूकता फैलानी चाहिए। इसके अलावा कोर्ट और पुलिस को भी इस तरह के केस से सख्ती के साथ निपटना चाहिए।
साल दर साल बढ़े केस
लोगों में ट्रिपल तलाक (Triple talaq) के कानून का डर ना होने की वजह से इसके केस लगातार बढ़ रहे हैं। साल 2019 में तीन तलाक की 2.69 लाख शिकायतें आई थीं। हालांकि 2020 में इससे बेहद कम 95 हजार केस ही रजिस्टर्ड हुए। इसके अगले ही साल यानी 2021 में संख्या 5.41 लाख तक पहुंच गई। बात करें 2022 की तो इस साल कुल 2.45 लाख ट्रिपल तलाक के केस सामने आए। ये वो केस हैं जिसमें पीड़ित महिलाओं को विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से मामलों को सुलझाया गया।
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