UP Conversion Case: यूपी में अवैध धर्मांतरण मामले में बुधवार को 16 लोगों को सजा सुनाई गई, जिसमें 12 लोगों को उम्रकैद की सजा दी गई। वहीं, 4 दोषियों को 10-10 साल की सजा दी गई। बुधवार (11 सितंबर) को लखनऊ के NIA कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी।
बता दें कि मंगलवार को NIA-ATS कोर्ट के स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी को दोषी को करार दिया था। कोर्ट ने 10 सितंबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ATS ने बताया कि ये लोग नौकरी समेत कई तरह का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराते थे।
मामले में पाए गए 17 आरोपी, 16 को मिली सजा
यूपी में अवैध धर्मांतरण मामले में सरकारी वकील एमके सिंह के मुताबिक कुल 17 आरोपी थे। इनमें एक आरोपी इदरीश कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया।
इन आरोपियों की मिली उम्रकैद
मोहम्मद उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान ,सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, भुप्रियबंदों मानकर उर्फ अरसलान मुस्तफा, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, कौशर आलम, डॉक्टर फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद, सरफराज अली जाफरी,अब्दुल्ला उमर।
10-10 साल की सजा काटेंगे ये आरोपी
इस मामले में चार आरोपी मन्नू यादव उर्फ अब्दुल, राहुल भोला उर्फ राहुल अहमद, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है।
पीड़ितों को मिला मुआवजा
कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के पीड़ित आदित्य गुप्ता और मोहित चौधरी को दो-दो लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। वहीं अन्य पीड़ित नितिन पंत और परेश लीलाधर हारोड़े को NIA दिलाने के लिए अपने निर्णय की एक प्रति को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजने का आदेश दिया है।
ऐसे कराते थे धर्मांतरण
यूपी का ये गिरोह नौकरी का लालच देकर कई तरह के प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराते थे। यही नहीं आर्थिक रूप से कमजोर, दिव्यांगजन खासकर मूकबधिर लोगों को बहला फुसलाकर, डरा कर, बलपूर्वक धर्मांतरण कराया जाता था। इस दौरान धर्मांतरित व्यक्ति के जरिये भी उसके मूल धर्म के लोगो का धर्मांतरण कराया जाता था।
यहां तक की धर्मांतरित व्यक्ति वापस मूल धर्म में वापस न जाए और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो इसके लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण भी दिया जाता था।
हिंदू से मुसलमान बना मोहम्मद उमर
इस मामले में जिन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, उसमें एक नाम फतेहपुर का मोहम्मद उमर गौतम का नाम भी शामिल है। ये खुद खुद हिंदू से मुसलमान बना था। उसके बाद उसने करीब एक हजार लोगों का अवैध तरीके से धर्मांतरण कराया।
कैसा हुआ खुलासा?
एटीएस नोएडा यूनिट के दारोगा विनोद कुमार ने लखनऊ के गोमतीनगर थाना में 20 जून 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद मौलाना कलीम सिद्दकी, उमर गौतम समेत कई लोग गिरफ्तार भी किए गए।
ATS के मुताबिक मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी की गिरफ्तारी के बाद जब सिंडीकेट की परतें खुलना शुरू हुईं तो कई खुलासे हुए। इस दौरान ये सामने आया कि उमर गौतम मुफ्ती जहांगीर के साथ मिलकर नई दिल्ली में इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) का संचालन कर रहा था, जो कि अवैध धर्मांतरण का मुख्य केंद्र था। इस सिंडिकेट का मूल उद्देश्य शरिया आधारित कानून को लागू करना था।
1000 लोगों को कराया धर्मांतरण
पुलिस ने आरोपियो से पूछताछ की, जिसमें उमर गौतम ने बताया कि वो करीब एक हजार गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन करा चुका है। उसने बड़ी संख्या में मुसलमानों से शादी कराई है।
विदेश से होती थी फंडिंग
इस गिरोह की संस्था के बैंक खातों और अन्य माध्यमों से रकम जमा कराई जाती। धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से भी फंडिंग होती थी।