नई दिल्ली। बिहार में हाल में हुई जहरीली शराब त्रासदी की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से स्वतंत्र रूप से कराने का अनुरोध करने वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है। सारण में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 30 हो गई। छह साल पहले शराबबंदी की घोषणा के बाद मृतकों की यह संख्या सबसे अधिक है।
सारण के जिलाधिकारी (डीएम) राजेश मीणा ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मंगलवार रात से अब तक मृतक संख्या बढ़कर 30 हो गई है। बहरहाल, अपुष्ट खबरों में दावा किया गया है कि जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
बिहार स्थित ‘आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन’ द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष इस याचिका का जिक्र इसे तत्काल सूचीबद्ध किए जाने के लिए किया गया। पीठ ने इस याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने से इनकार कर दिया। पीठ ने इस मामले का जिक्र करने वाले वकील पवन प्रकाश पाठक से कहा कि याचिकाकर्ता को मामले को सूचीबद्ध करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा।
शीर्ष अदालत का शुक्रवार से दो सप्ताह का शीतकालीन अवकाश आरंभ हो जाएगा। इसके बाद न्यायालय का कामकाज दो जनवरी को आरंभ होगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने अप्रैल, 2016 में बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को पक्षकार के रूप में रखा गया है।
याचिका में कहा गया है कि जहरीली शराब की बिक्री और खपत को रोकने के लिए बहु-आयामी योजना की जरूरत है। याचिका में कहा गया है कि 14 दिसंबर को बिहार में हुई जहरीली शराब त्रासदी ने देश में ‘‘हंगामा’’ पैदा कर दिया है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘राजनीतिक दल एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। जहरीली शराब पीने से अब तक 40 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य अस्पताल में भर्ती हैं और इस घटना की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है।‘‘ इसमें कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है, जब भारत में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की घटना सामने आई है। इसमें कहा गया कि हाल के वर्षों में गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों में इसी तरह के मामले सामने आए हैं। याचिका में कहा गया है कि शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले राज्यों में इस प्रकार की जहरीली शराब की बिक्री अधिक होती है।
बिहार में हाल में हुई जहरीली शराब त्रासदी की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से स्वतंत्र रूप से कराने का अनुरोध करने वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है। सारण में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 30 हो गई। छह साल पहले शराबबंदी की घोषणा के बाद मृतकों की यह संख्या सबसे अधिक है। सारण के जिलाधिकारी (डीएम) राजेश मीणा ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मंगलवार रात से अब तक मृतक संख्या बढ़कर 30 हो गई है।
बहरहाल, अपुष्ट खबरों में दावा किया गया है कि जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है। बिहार स्थित ‘आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन’ द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष इस याचिका का जिक्र इसे तत्काल सूचीबद्ध किए जाने के लिए किया गया।
पीठ ने इस याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने से इनकार कर दिया। पीठ ने इस मामले का जिक्र करने वाले वकील पवन प्रकाश पाठक से कहा कि याचिकाकर्ता को मामले को सूचीबद्ध करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा। शीर्ष अदालत का शुक्रवार से दो सप्ताह का शीतकालीन अवकाश आरंभ हो जाएगा। इसके बाद न्यायालय का कामकाज दो जनवरी को आरंभ होगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने अप्रैल, 2016 में बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था।
शीर्ष अदालत में दायर याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को पक्षकार के रूप में रखा गया है। याचिका में कहा गया है कि जहरीली शराब की बिक्री और खपत को रोकने के लिए बहु-आयामी योजना की जरूरत है। याचिका में कहा गया है कि 14 दिसंबर को बिहार में हुई जहरीली शराब त्रासदी ने देश में ‘‘हंगामा’’ पैदा कर दिया है। याचिका में कहा गया है, ‘‘राजनीतिक दल एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। जहरीली शराब पीने से अब तक 40 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य अस्पताल में भर्ती हैं और इस घटना की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है।
‘‘ इसमें कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है, जब भारत में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की घटना सामने आई है। इसमें कहा गया कि हाल के वर्षों में गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों में इसी तरह के मामले सामने आए हैं। याचिका में कहा गया है कि शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले राज्यों में इस प्रकार की जहरीली शराब की बिक्री अधिक होती है।