भारत—चीन के बीच बीते सालों से जमीन को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। चीनी सैनिक भारत में घुसने की हमेशा कोशिश में लगे रहते है लेकिन भारतीय जवान हमेशा उन्हें खदेड़कर भगा देते है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल में 4 से 5 बार चीनी सौनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की। लेकिन हर बार की तरह उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
हाल ही में भारतीय सेना और चीनी सेना की झड़प का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें भारतीय जवान चीनी सैनिकों को लाठी डंडो से खदेड़ते नजर आ रहे है। हालांकि वीडियों कब का है, इसकी पुष्ठि नहीं हो पाई है, लेकिन वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इससे पहले भी कई बार ऐसे वीडियो सामने आते रहे है, लेकिन इसमें एक बार कॉमन देखने को मिली। अभी तक जीतने भी वीडियो सामने आए उनमें दोनों देशों के सैनिक लाठी डंड़ों से ही लड़ते दिखाई दिए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दोनों देशोंं के पास आधुनिक हथियार होने के बावजूद भी लाठी डंडे ही क्यों गोला बारूद क्यों नहीं?
भारत-चीन के बीच समझौता
भारत—चीन सैनिकों के बीच लाठी डंड़ों से लड़ाई को लेकर एक खास वजह है। दरसअल, दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था। साल 1996 में 29 नवंबर को नई दिल्ली में एक समझौते के अनुसार दोनों देशों के बीच झड़प के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं हो सकता। इस समझौते में आर्टिकल 6 के तहत दोनों पक्षों में से कोई भी एलएसी के दो किलोमीटर की सीमा तक गोली नहीं चला सकता। न ही कोई खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल करेगा, न कोई बम विस्फोट करेगा और न ही अन्य कोई हथियार गतिविधियां होंगी। इसके अलावा सड़क बनाने के लिए पड़ाहों में ब्लास्टिंग की जाती है, लेकिन इसके लिए सामने वाले देश से अनुमति लेनी होगी। ताकि दोनों देशों में युद्ध या फिर सीजफायर की गलहतफहमी नहीं हो। इसके अलावा सैन्य अभ्यास के दौरान गोली-बारूद या मिसाइल बॉर्डर के दूसरी तरफ न जाए।
सैनिक करें खुद पर काबू
आर्टिकल 6 के तहत अगर कोई विवाद की स्थिति बनती है तो दोनों देश के सैनिकों को खूद पर काबू पाना होगा। ऐस में सेना के अधिकारी जरूरी कदम उठाएंगे। हालांकि आपकों बता दें कि समझौते के बावजूद भी गलवान में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे और चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे।