नई दिल्ली। बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष 2021-22 तक छह साल की अवधि में अपने बही-खाते से 11.17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला है। यह जानकारी संसद को मंगलवार को दी गई। वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए), जिनमें चार साल पूरे होने पर पूर्ण प्रावधान वाले ऋण भी शामिल हैं, को बट्टे खाते में डालकर बैंकों के बही-खाते से हटाया गया है।
उन्होंने कहा कि बैंक अपनी बही-खाते को दुरुस्त करने, कर लाभ प्राप्त करने और पूंजी का महत्तम इस्तेमाल करने के लिए अपने नियमित अभ्यास के रूप में एनपीए को बट्टे खाते में डाल देते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों और उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार डूबे कर्ज को बट्टे खाते में डालने का काम किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) ने पिछले छह वित्त वर्षों के दौरान क्रमशः 8,16,421 करोड़ रुपये और 11,17,883 करोड़ रुपये की कुल राशि बट्टे खाते में डाली।’’