Japanese Encephalitis Virus : देश अभी चीन से फैले कोरोना वायरल से उभरा नहीं है कि जापान से एक और तबाही की खबर सामने आई है। जापान से इंसेफेलाइटिस वायरल (Japanese Encephalitis Virus) ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। जापान में लगातार इस खतरनाक वायरस के मामले सामने आने लगे है। जापानी इंसेफेलाइटिस वायरल का एक मरीज पुणे में निकला है। यहां चार साल के एक बच्चे में यह वायरल पाया गया है। इतना ही नहीं पिछले कुछ महीनों से असम और मिजोरम में जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis Virus) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में अबतक 400 से अधिक मामले सामने आ चुके है। बता दें कि यह ब्रेन इंफेक्शन है।
क्या है इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus)?
खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) कोरोना वायरस से भी काफी खतरनाक है। यह वायरस मच्छर के काटने से तेजी से फैलता है। यह वायरस के इंसान के शरीर में प्रवेश करने के बाद ब्रेन में सूजन होने लगती है। जिससे मौत का खतरा बना रहता है। यह वायरस मच्छरों में तब जाता है जब वे संक्रमित जानवरों को काटते हैं। यह वायरस (Japanese Encephalitis Virus) सभी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है।
जापान में मिला पहला मामला
इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) का पहला मामला साल 1871 में जापान में दर्ज किया गया था। इसलिए इसे जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) भी कहा जाता है। हालांकि इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) का संक्रमण दर काफी कम हैं, लेकिन 30 प्रतिशत तक मृत्यु दर हो सकती है।
लक्षण और इलाज
आपको बता दें कि जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) के इंसान के शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण दिखाई नहीं देते है। लक्षणों की बात करे तो इससे संक्रमित मरीजों को बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव, न्यूरोलॉजिकल लक्षण, कमजोरी, मूवमेंट डिसऑर्डर जैसी समस्या आना शुरू हो जाती है। आपको यह भी बता दें कि जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (Japanese Encephalitis Virus) का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है।