Havan Kills Bacteria: सनातन धर्म में यज्ञ की आहूति और हवन की परंपरा हजारों सालों से है। धर्मग्रंथों के अनुसार यह ऋद्धि, सिद्धि, स्वास्थ्य, एकाग्रता और मानसिक जागृति में वृद्धि करता है। लेकिन, यज्ञाहुति और हवन को लेकर अनेक दावे भी होते रहे हैं।
मसलन, मान्यता है कि यज्ञ और हवन से वातावरण में उपस्थित फंगस, वायरस, जीवाणु (बैक्टीरिया) और अन्य कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। केवल यही नहीं बल्कि यज्ञ और हवन का बचा हुआ अपशिष्ट जैसे की भस्म और राख एक प्राकृतिक राख है। यह जमीन की उर्वरता को बढाती है, फलतः फसलों की उपज बढ़ जाती है।
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ICAR ने किया रिसर्च
इसे लेकर कोई विश्वसनीय वैज्ञानिक आधार और सबूत पूरी तरह से स्पष्ट नहीं थे। लेकिन, यज्ञ और हवन के वैज्ञानिक पहलू को लेकर एक वैज्ञानिक रिपोर्ट (Scientific Report) आयी है। इस रिपोर्ट के रिजल्ट चौंका देने वाले हैं।
यज्ञ और हवन के वैज्ञानिक पहलू को लेकर यह रिसर्च इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चरल रिसर्च (ICAR) सेंट्रल सॉयल सैलिनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट रीजनल रिसर्च स्टेशन ने किया है। आपको बता दें, गायत्री परिवार ट्रस्ट ने कुछ महीने पहले लखनऊ के आलमबाग में एक यज्ञ आयोजित किया था। इस यज्ञ की भस्म लैब में परीक्षण के लिए भेजी गई थी।
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पाए गए ये तीन जरुरी तत्व
ICAR की रिपोर्ट के मुताबिक, हवन की भस्म और राख में तीन तत्व प्रचुर मात्रा में पाए गए हैं। ये तत्व है: कैलशियम (Ca) और मैग्नीशियम (Mg) और पोटैशियम (K) मिला है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि ये सभी तत्व जमीन की उर्वरता बढ़ाने के लिए मौलिक रूप से अनिवार्य हैं।
आधुनिक ज़माने के उर्वरक और केमिकल फर्टिलाइजर में इन्हीं तत्वों का इस्तेमाल जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन ये केमिकल से बने ये खाद बाद में जमीन की उर्वरता पर साइड इफेक्ट भी डालते हैं। जबकि यज्ञ और हवन की राख और भस्म नितांत प्राकृतिक खाद है, जो भूमि की उर्वरता को स्थायी रखते हैं।
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और क्या खास है रिपोर्ट में
इस रिपोर्ट में एक और खास बात सामने आई है। वह यह है कि यज्ञ के बाद वातावरण और हवा में उपस्थित फंगस, वायरस, जीवाणु और कीटाणु के लोड में कमी (Havan Kills Bacteria) आयी हैं। यह निष्कर्ष विशेष रूप से चौकाने वाली है।
ICAR की यह रिपोर्ट, निश्चित रूप से उन लोगों को उत्साहित करेगी जो यज्ञ और हवन के पक्षधर हैं। साथ ही उन लोगों के मुंह पर ताला लगा देगी, जो यज्ञ की बुराइयां करते हैं और इसे पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बताते हैं।
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यज्ञ के बाद हवा में कम हुए फंगस और जीवाणु
ICAR के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ। संजय अरोड़ा की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट में हवन के और भी लाभकारी पहलू को उजागर किया गया है। रिपोर्ट के माइक्रोबियल एनालिसिस मुताबिक़, यज्ञ की आहुति और हवन के आधे घंटे के हवा में मौजूद फंगस, वायरस, जीवाणु और कीटाणु लोड घट गया।
दूसरे शब्दों में कहें तो हवन और यज्ञ के बाद फंगस और जीवाणु काफी कम (Havan Kills Bacteria) हो गए। इससे भी ज्यादा दिलचस्प यह है कि यज्ञ हो जाने के चार घंटे बाद भी हवा में फंगस और जीवाणु के स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई यानी लोड कम ही बना रहा।
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