Bhopal Gas Scandal Memorial : आज भोपाल गैस त्रासदी केा पूरे 38 साल हो चुके है लेकिन वो काली रात कोई नहीं भुला पाया। आज भी उस काली मौत के रात के जख्म हरे हैं। राजधानी भोपाल में लगी आंसू पोंछते हुए गोद में लिए एक बच्चे की मूर्ति भोपाल गैसकांड के दर्द को जेहन में उतारती हैं। करीब 32 सालों से यूनियन काबाईड के बाहर लगी यह मूर्ति उस काली रात की एकमात्र स्मारक है। मूर्ति जिनती मार्मिक है उतनी ही मार्मिक उस काली रात की कहानी है।
किसने बनवाई थी यह मूर्ति
भोपाल गैसकांड की पहली बरसी के मौके पर साल 1985 में यह मूर्ति डच नागरिक रूथ वाटरमैन ने बनाई थी। जब उन्हें भोपाल गैस कांड की कहानी सुनी तो उन्हें अपने माता पिता की याद में यह मूर्ति बनाई थी। उनके माता पिता को हिटलर ने गैस चौंबर में बंद करके मार दिया था। भोपाल गैस कांड के पीडितों में रूथ को अपने मां-बाप नजर आए वह तुरंत भोपाल पहुंचे और मूर्ति का निर्माण किया।
ऐसे तय हुई डिजाइन
भोपाल गैसकांड की कहानी सुनने के बाद रूथ भोपाल पहुंची। उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि आखिर मूर्ति कैसी बनाई जाए। बता दें कि रूथ पेशे से मूर्तिकार थी। तब उन्होंने अपने साथी कोलकाता के फोटोग्राफर संजय मित्रा के साथ मिलकर पीड़ित बस्तियों में लोगों से पूछा कि त्रासदी वाली रात का वो कौन सा नजारा था जो उन्हें सबसे ज्यादा याद आता है, फिर इस बातचीत के आधार पर स्मारक का मां-बच्चो वाला डिजाइन फाइनल किया गय